शीर्षक- अब नहीं वो वैसे, कि मिले उनसे हँसकर ---------------------------------------------------------------- अब नहीं वो वैसे, कि मिले उनसे हँसकर। करें बातें दिल की, हम उनसे मिलकर।। अब नहीं वो वैसे -----------------------।। देखते नहीं अब वो, तस्वीर पुरानी अपनी। लगती नहीं है अच्छी, कहानी पुरानी अपनी।। आता है गुस्सा उनको, अब हमें देखकर। अब नहीं वो वैसे -----------------------।। पसंद नहीं उनको, मुफ़लिसों से हाथ मिलाना। अपने बचपन के यारों को, गले अपने लगाना।। होती है उनको नफरत, चिट्ठियां हमारी पढ़कर। अब नहीं वो वैसे -------------------------।। बहुत मुश्किल है तोड़ना, उनके पहरे को। करीब जाकर छूना, अब उनके सेहरे को।। नहीं बिसात अपनी, कहे कुछ उनसे खुलकर। अब नहीं वो वैसे ------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गीतकार