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Prakash Vidyarthi

Gurudeen Verma

White शीर्षक- जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना
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जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना, मुकुर गया वो तुमसे।
मिलाया नहीं हाथ किसी ने तुमसे।।-----------------(2)
जिसको भी चाहा तुमने ----------------------।।

एक था वो जिसने जाना नहीं कभी।
मेरे बारे में उसने सोचा नहीं कभी।।
चाहता नहीं था वो बात करना।
उठाया नहीं कभी परदा दिल से।।-----------(2)
जिसको भी चाहा तुमने --------------------।।

और वो तो खेला जीभरकै दिल से।
बनाया दीवाना हमको अपने हुस्न से।।
उसको मिल गया कोई हमसे बेहतर।
छुड़ा लिया दामन उसने भी हमसे।।-------------(2)
जिसको भी चाहा तुमने ---------------------।।

अब ऐसी सूरत से पायेंगे क्या हम।
होंगे नहीं इससे बर्बाद क्या हम।।
मतलब है इसको सिर्फ पैसों से।
मतलब नहीं इसको मेरे इस दिल से।।------------(2)
जिसको भी चाहा तुमने ----------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार

Gurudeen Verma

White शीर्षक- पसन्द नहीं था खुदा को भी, यह रिश्ता तुम्हारा
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पसन्द नहीं था खुदा को भी, यह रिश्ता तुम्हारा।
लिखा नहीं था नसीब में, उनसे मिलन तुम्हारा।।
मत हो निराश हे दिल तू , कोई बात नहीं, कोई बात नहीं।
पसन्द नहीं था खुदा को भी--------------------------।।

जो है नसीब में, वही तुमको मिलेगा।
किसी का कभी तो साथ, तुमको मिलेगा।।
बाकी है और भी, राहें चलने की।
मत रुक ऐसे तू , नहीं मंजिल को पाकर।।
पसन्द नहीं था खुदा को भी-------------------।।

आँसू बहाने से, गम नहीं मिटेगा।
टूटेगी हिम्मत ही, जोश नहीं बढ़ेगा।।
फूलों को देखकर, तू भी मुस्करा।
मत तू बुझा दीपक, नहीं रोशनी को पाकर।।
पसन्द नहीं था खुदा को भी----------------------।।

इंतजार तेरा भी, होगा किसी को।
तुमसे भी प्यार, होगा किसी को।।
समझना उसे ही तू , अपनी खुशी।
मत तू मिटा हस्ती, नहीं प्यार को पाकर।।
पसन्द नहीं था खुदा को भी----------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार

Gurudeen Verma

White शीर्षक - कसम, कसम, हाँ तेरी कसम
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कसम,कसम, हाँ तेरी कसम।
करते हैं प्यार तुमको हम।।
इसमें नहीं है कोई शक।
चाहते हैं दिल से तुमको हम।।
कसम, कसम, हाँ-------------------।।

आवो करीब, खत यह पढ़ो तुम।
तस्वीर,चेहरा यह देखो तुम।।
कुछ भी फरेब इसमें नहीं है।
वफ़ा करते हैं तुमसे हम।।
कसम,कसम, हाँ------------------।।

रोशन हैं तारें, यह प्यार देखकर।
महके हैं फूल, यह मिलन देखकर।।
अब कोई डर तुमको नहीं हो।
थामे हैं दामन तेरा हम।।
कसम, कसम, हाँ-----------------।।

कुछ पल का नहीं, साथ हमारा।
उम्रभर का रहेगा, साथ हमारा।।
तुमको बेरोशन नहीं होने देंगे।
कुर्बान हैं दिल से तुझपे हम।।
कसम,कसम, हाँ--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार

Gurudeen Verma

शीर्षक - अब तुझपे किसने किया है सितम
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अब तुझपे किसने किया है सितम।
आँसू हैं क्यों अब तेरी आँखों में।।
हम तो अलग तुमसे हो गये।
क्यों नहीं खुशी अब तेरी आँखों में।।
अब तुझपे किसने ---------------------।।

आई नहीं थी तुम्हें तो पसंद।
मोहब्बत हमारी, बस्ती हमारी।।
अब तो तुम हो राजा की रानी।
क्यों नहीं सुकून अब तेरी आँखों में।।
अब तुझपे किसने---------------------।।

कमत्तर तुम्हें तो लगती थी कल।
किस्मत हमारी, हस्ती हमारी।।
अब तो नहीं तुझको कोई कमी।
क्या शेष ख्वाब है अब तेरी आँखों में।।
अब तुझपे किसने--------------------।।

फैली है रोशनी तेरे हर तरफ।
महके हैं फूल तेरे बाग में।।
बहुत फिक्र है तेरी तेरे सनम को।
क्या गम है अब तेरी आँखों में।।
अब तुझपे किसने-----------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार

Prakash Vidyarthi

Gurudeen Verma

White शीर्षक - फूल और भी तो बहुत है, महकाने को जिंदगी
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फूल और भी तो बहुत है, महकाने को जिंदगी।
तो फिर शिकायत करें क्यों, हम जीने को जिंदगी।।
फूल और भी तो बहुत है---------------------।।

आज है शाम सफर में तो, होगी कल को सुबह भी।
आज इससे है खफ़ा तो, होगी कल को सुलह भी।।
राहें और भी तो बहुत है, मंजिल पाने को जिंदगी।
तो फिर शिकायत करें क्यों, हम जीने को जिंदगी।।
फूल और भी तो बहुत है------------------।।

उस यार से क्या मतलब, दिया नहीं हो जिसने साथ।
निकालने को मुसीबत से, मिलाया नहीं हो कभी हाथ।।
साथ और भी तो बहुत है, प्यार देने को जिंदगी।
तो फिर शिकायत करें क्यों, हम जीने को जिंदगी।।
फूल और भी तो बहुत है-------------------।।

उसपे बर्बाद नहीं हो, जिसने किया नहीं आबाद।
तू इश्क उससे छोड़ दें, तू हो जा जी.आज़ाद।।
ख्वाब और भी तो बहुत है, सजाने को जिंदगी।
तो फिर शिकायत करें क्यों, हम जीने को जिंदगी।।
फूल और भी तो बहुत है-------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार

Gurudeen Verma

White शीर्षक - मजबूरियां थी कुछ हमारी
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मजबूरियां थी कुछ हमारी।
कि ऐसा हमने किया नहीं।।
लौट गए वापस हम घर।
और वजह इसकी कोई नहीं।।
मजबूरियां थी-----------------।।

तू ही नहीं, एक जरूरत हमारी।
और भी है जिम्मेदारी हमारी।।
रिश्तें भी तो निभाने हैं।
रस्मों ने बढ़ने दिया नहीं।।
मजबूरियां थी----------------।।

तुम्हें भी बनाते साथी हमारा।
करते पूरा यह ख्वाब हमारा।।
बसना भी तो यहीं था हमको।
सम्मान हमारा वहाँ किया नहीं।।
मजबूरियां थी------------------।।

जरूरत तुमको हमारी नहीं थी।
हमसे खुशी तेरे दिल को नहीं थी।।
ऐसे में हम क्यों बर्बाद होते।
तुमने भी हमको मनाया नहीं।।
मजबूरियां थी-----------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार 
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला-बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार

Gurudeen Verma

White शीर्षक- किससे कहे दिल की बात को हम
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किससे कहे दिल की बात को हम।
हँसता है हरकोई इसको सुनकर।।
करता नहीं है मदद कोई भी।
करते नहीं बात वो भी खुलकर।।
किससे कहे दिल-------------------------।।

मिलायेंगे वो हाथ तो रोज हमसे।
पूछेंगे हाल भी वो दिल का।।
हमारी हाँ में मिलाते हैं हाँ वो।
मगर चल देते हैं वो हँसकर।।
किससे कहे दिल-------------------।।

अगर सुन ले बुरी खबर वो हमारी।
 बहुत हमदर्दी जताते हैं हम पर।।
मगर हो हमें गर दवा की जरूरत।
बढ़ाते नहीं है वो हाथ बढ़कर।।
किससे कहे दिल---------------------।।

पसंद नहीं उनको कष्ट उठाना।
किसी के लिए अपने आँसू बहाना।।
हरकोई भूखा यहाँ है दौलत का।
नहीं कोई लुटाता खुशी भूलकर।।
किससे कहे दिल----------------------।।

मतलब के रिश्ते हैं यहाँ पर सभी के।
बिना स्वार्थ कोई नहीं प्यार करता।।
नहीं मिलती है इज्जत बिना दौलत के।
आते हैं मिलने गरज हाँ समझकर।।
किससे कहे दिल----------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार

Gurudeen Verma

White शीर्षक-  तू बेखबर इतना भी ना हो
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तू बेखबर इतना भी ना हो।
कि अपने दिल की ही खबर ना हो।।
करो तुम नफरत हमसे बहुत।
मगर खुद से तो नाखुश ना हो।।
तू बेखबर इतना भी ----------------------।।

तुमसे शिकायत यह नहीं हमको।
कि प्यार हमसे क्यों नहीं करते।।
दुःख तो हमें होता है इससे।
कि तुम रुसवां खुद से ही ना हो।।
तू बेखबर इतना भी ------------------।।

बिसात हमारी नहीं थी इतनी।
 खरीद सकते हम दिल तुम्हारा।।
बहुत हसीन है महफ़िल तुम्हारी।
लेकिन इसमें बदनाम तू ना हो।।
तू बेखबर इतना भी ------------------------।।

अच्छी लगी हमको पसंद तुम्हारी।
तुमको मिल गया है साथी पसन्द का।।
नाराज इसको कभी तू नहीं करना।
शिकवा तुमको इससे कभी ना हो।।
तू बेखबर इतना भी----------------------।।

ऐसा इसलिए कहते हैं हम।
कि तुमसे हम प्यार करते हैं।।
नहीं हो अफसोस तुम्हें कल।
अश्क़ तेरी आँखों में ना हो।।
तू बेखबर इतना भी-----------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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