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Prakash Vidyarthi
"दिल की तमन्ना" :*********************** ए काश की हम तुम्हारे होते,और तुम भी हमारे होते । तो जिन्दगी के क्या हसीन लम्हे खूबसूरत नजारे होते ।। न पूछता कोई प्रश्न न देता कोई उत्तर न कोई शिकवा दरारे होते। आई मिलन की चांदनी रात होती,ओर फूलों की सेज बहारे होते।। मिल जाता दिल दिल से तेरी मुहब्बत के हम चांद सितारे होते। खो जाते एक दूजे में हम जानू और तुम प्यार से भीं प्यारे होते।। तेरी बाहों में बाहें डाले होते बहती बसंत नदिया किनारे होते। मदहोश मौसम रंगीन फिजाए और खुशियों के फब्बारे होते।। काश तू रानी रूपवती होती मैं चोर बन तेरा दिल चुरा रहे होते। डूब जाते तेरे दो मस्त नैनों में हम तथा तेरे सुंदर रूप निहारे होते।। बन जाता तेरा देवता ओ देवी पाकर प्रेम रतन धन काश पधारे होते। पूरी हो जाती दिल की तम्मानाए सारी जीवन उज्जवल उजियारे होते।। भर देता खुशियों से तेरी सुनी मांग यदि इजाजत सनम तुम्हारे होते। बेइन्तहा करता तुमसे इश्क जहां में चाहें आशिक हम गवांरे होते।। छू लेता तेरे मखमली बदन गर दुल्हन सी तुझे साजे सवारे होते। चूम लेता तेरे माथे की लालिमा और तेरे क़दमों में जान हमारे होते।। बस जाते एक दूजे के मन मन्दिर में एक दूसरे के हमसफर सहारे होते। बन जाती तू मेरी विद्या रूपी महबूब और हम तेरे विद्यार्थी दुलारे होते।। खुद को खो देता तेरी चाहत में यूंही शनम चाहें बरसते राहों में अंगारे होते। रब से भी ज्यादा तुम्हे प्यार करता अगर तेरी धड़कन में हां के इशारे होते।। स्वरचित -: प्रकाश विद्यार्थी ©Prakash Vidyarthi #Poet #thought_of_the_day #गीतकार
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White शीर्षक- जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना ------------------------------------------------------------ जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना, मुकुर गया वो तुमसे। मिलाया नहीं हाथ किसी ने तुमसे।।-----------------(2) जिसको भी चाहा तुमने ----------------------।। एक था वो जिसने जाना नहीं कभी। मेरे बारे में उसने सोचा नहीं कभी।। चाहता नहीं था वो बात करना। उठाया नहीं कभी परदा दिल से।।-----------(2) जिसको भी चाहा तुमने --------------------।। और वो तो खेला जीभरकै दिल से। बनाया दीवाना हमको अपने हुस्न से।। उसको मिल गया कोई हमसे बेहतर। छुड़ा लिया दामन उसने भी हमसे।।-------------(2) जिसको भी चाहा तुमने ---------------------।। अब ऐसी सूरत से पायेंगे क्या हम। होंगे नहीं इससे बर्बाद क्या हम।। मतलब है इसको सिर्फ पैसों से। मतलब नहीं इसको मेरे इस दिल से।।------------(2) जिसको भी चाहा तुमने ----------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गीतकार
Gurudeen Verma
White शीर्षक- पसन्द नहीं था खुदा को भी, यह रिश्ता तुम्हारा --------------------------------------------------------------------- पसन्द नहीं था खुदा को भी, यह रिश्ता तुम्हारा। लिखा नहीं था नसीब में, उनसे मिलन तुम्हारा।। मत हो निराश हे दिल तू , कोई बात नहीं, कोई बात नहीं। पसन्द नहीं था खुदा को भी--------------------------।। जो है नसीब में, वही तुमको मिलेगा। किसी का कभी तो साथ, तुमको मिलेगा।। बाकी है और भी, राहें चलने की। मत रुक ऐसे तू , नहीं मंजिल को पाकर।। पसन्द नहीं था खुदा को भी-------------------।। आँसू बहाने से, गम नहीं मिटेगा। टूटेगी हिम्मत ही, जोश नहीं बढ़ेगा।। फूलों को देखकर, तू भी मुस्करा। मत तू बुझा दीपक, नहीं रोशनी को पाकर।। पसन्द नहीं था खुदा को भी----------------------।। इंतजार तेरा भी, होगा किसी को। तुमसे भी प्यार, होगा किसी को।। समझना उसे ही तू , अपनी खुशी। मत तू मिटा हस्ती, नहीं प्यार को पाकर।। पसन्द नहीं था खुदा को भी----------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गीतकार
Gurudeen Verma
White शीर्षक - कसम, कसम, हाँ तेरी कसम ---------------------------------------------------------- कसम,कसम, हाँ तेरी कसम। करते हैं प्यार तुमको हम।। इसमें नहीं है कोई शक। चाहते हैं दिल से तुमको हम।। कसम, कसम, हाँ-------------------।। आवो करीब, खत यह पढ़ो तुम। तस्वीर,चेहरा यह देखो तुम।। कुछ भी फरेब इसमें नहीं है। वफ़ा करते हैं तुमसे हम।। कसम,कसम, हाँ------------------।। रोशन हैं तारें, यह प्यार देखकर। महके हैं फूल, यह मिलन देखकर।। अब कोई डर तुमको नहीं हो। थामे हैं दामन तेरा हम।। कसम, कसम, हाँ-----------------।। कुछ पल का नहीं, साथ हमारा। उम्रभर का रहेगा, साथ हमारा।। तुमको बेरोशन नहीं होने देंगे। कुर्बान हैं दिल से तुझपे हम।। कसम,कसम, हाँ--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गीतकार
Gurudeen Verma
शीर्षक - अब तुझपे किसने किया है सितम -------------------------------------------------------------------- अब तुझपे किसने किया है सितम। आँसू हैं क्यों अब तेरी आँखों में।। हम तो अलग तुमसे हो गये। क्यों नहीं खुशी अब तेरी आँखों में।। अब तुझपे किसने ---------------------।। आई नहीं थी तुम्हें तो पसंद। मोहब्बत हमारी, बस्ती हमारी।। अब तो तुम हो राजा की रानी। क्यों नहीं सुकून अब तेरी आँखों में।। अब तुझपे किसने---------------------।। कमत्तर तुम्हें तो लगती थी कल। किस्मत हमारी, हस्ती हमारी।। अब तो नहीं तुझको कोई कमी। क्या शेष ख्वाब है अब तेरी आँखों में।। अब तुझपे किसने--------------------।। फैली है रोशनी तेरे हर तरफ। महके हैं फूल तेरे बाग में।। बहुत फिक्र है तेरी तेरे सनम को। क्या गम है अब तेरी आँखों में।। अब तुझपे किसने-----------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गीतकार
Prakash Vidyarthi
White शीर्षक_- " एहसासों के तरुवर और बूंदों के राग " ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। काले कलूटे उमड़ते धूमड़ते मेघों से हैं गगन सज़ा । मौसम की नई अंगड़ाई देख गड़गड़ाते बादल गरजा ।। आषाढ़ श्रावण को झकझोरती बरखा रानी व्याकुल भली। मूर्छित पौधों को सुधा पान कराने जैसे इश्क की गली प्रेयसी चली।। पुरवा पवन की हिलोरती झोके रिमझिम बूंदे बरसने लगी। भूखे प्यासे भूतल को जल से तृप्त लिप्त करने लगी।। कड़कती चमकती देख घनप्रिया को । भौरो के मन में लगन फाग जगा। एकान्त शान्त बैठ कुटिया के छाव में। जैसे दिव्य ज्योति का अनुराग लगा।। वन उपवन सब खिल उठे शीतल प्रीत नीर का पाकर,। आंधी तूफ़ान से कुछ गिरे पौधें भरा नदी तालाब और पोखर।। नए उमंग अंग प्रस्फुटित हुए लताएं शाखाएं लगे झूमने। होने लगे खुद भाव अंकुरित सवाल जवाब भीं पनपने।। शुरू हुआ सरगम का सफ़र अब दिल के आंगन में जैसे अगन सजा। स्नेह धागों सा कतरो को देख एहसासों के तरुवर भींगा।। टिपटिप कलकल टपकते नीर से बुलबुले ध्यान आकर्षित किए। रूखे सूखे आंतरिक उन्मेषो से। उत्पन्न तरंग संग हर्षित हुए।। गले का गुलशन ज्ञान चमन खिला सृजित स्वर- व्यंजन बौछारित। गुनगुनाती गीत भाव अलाप्ति । अभिलाषित नयन हुए अभिसारित ।। भौरों के भेष धारणकर विद्यार्थी कलियों के मुख मुस्कान निहारे । राष्ट्र भक्ति प्रेम को तरसे जीवन भटके मटके घने जंगल को सारे।। बुंदो के राग सुर ताल तराने व्यथित मन को लगे लुभाने। इंद्रधुनुषी नभ बहुरंगी रूपम बारिश के मौसम भाए सुहाने ।। स्वरचित -: प्रकाश विद्यार्थी ©Prakash Vidyarthi #Free #Poetry #कविताएँ #रचना_का_सार #गीतकार #स्टोरी #भक्तिकीशक्ति #प्रेम_रचना
Gurudeen Verma
White शीर्षक - फूल और भी तो बहुत है, महकाने को जिंदगी ------------------------------------------------------------------- फूल और भी तो बहुत है, महकाने को जिंदगी। तो फिर शिकायत करें क्यों, हम जीने को जिंदगी।। फूल और भी तो बहुत है---------------------।। आज है शाम सफर में तो, होगी कल को सुबह भी। आज इससे है खफ़ा तो, होगी कल को सुलह भी।। राहें और भी तो बहुत है, मंजिल पाने को जिंदगी। तो फिर शिकायत करें क्यों, हम जीने को जिंदगी।। फूल और भी तो बहुत है------------------।। उस यार से क्या मतलब, दिया नहीं हो जिसने साथ। निकालने को मुसीबत से, मिलाया नहीं हो कभी हाथ।। साथ और भी तो बहुत है, प्यार देने को जिंदगी। तो फिर शिकायत करें क्यों, हम जीने को जिंदगी।। फूल और भी तो बहुत है-------------------।। उसपे बर्बाद नहीं हो, जिसने किया नहीं आबाद। तू इश्क उससे छोड़ दें, तू हो जा जी.आज़ाद।। ख्वाब और भी तो बहुत है, सजाने को जिंदगी। तो फिर शिकायत करें क्यों, हम जीने को जिंदगी।। फूल और भी तो बहुत है-------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गीतकार
Gurudeen Verma
White शीर्षक - मजबूरियां थी कुछ हमारी ------------------------------------------------------- मजबूरियां थी कुछ हमारी। कि ऐसा हमने किया नहीं।। लौट गए वापस हम घर। और वजह इसकी कोई नहीं।। मजबूरियां थी-----------------।। तू ही नहीं, एक जरूरत हमारी। और भी है जिम्मेदारी हमारी।। रिश्तें भी तो निभाने हैं। रस्मों ने बढ़ने दिया नहीं।। मजबूरियां थी----------------।। तुम्हें भी बनाते साथी हमारा। करते पूरा यह ख्वाब हमारा।। बसना भी तो यहीं था हमको। सम्मान हमारा वहाँ किया नहीं।। मजबूरियां थी------------------।। जरूरत तुमको हमारी नहीं थी। हमसे खुशी तेरे दिल को नहीं थी।। ऐसे में हम क्यों बर्बाद होते। तुमने भी हमको मनाया नहीं।। मजबूरियां थी-----------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला-बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गीतकार
Gurudeen Verma
White शीर्षक- किससे कहे दिल की बात को हम ------------------------------------------------------------------- किससे कहे दिल की बात को हम। हँसता है हरकोई इसको सुनकर।। करता नहीं है मदद कोई भी। करते नहीं बात वो भी खुलकर।। किससे कहे दिल-------------------------।। मिलायेंगे वो हाथ तो रोज हमसे। पूछेंगे हाल भी वो दिल का।। हमारी हाँ में मिलाते हैं हाँ वो। मगर चल देते हैं वो हँसकर।। किससे कहे दिल-------------------।। अगर सुन ले बुरी खबर वो हमारी। बहुत हमदर्दी जताते हैं हम पर।। मगर हो हमें गर दवा की जरूरत। बढ़ाते नहीं है वो हाथ बढ़कर।। किससे कहे दिल---------------------।। पसंद नहीं उनको कष्ट उठाना। किसी के लिए अपने आँसू बहाना।। हरकोई भूखा यहाँ है दौलत का। नहीं कोई लुटाता खुशी भूलकर।। किससे कहे दिल----------------------।। मतलब के रिश्ते हैं यहाँ पर सभी के। बिना स्वार्थ कोई नहीं प्यार करता।। नहीं मिलती है इज्जत बिना दौलत के। आते हैं मिलने गरज हाँ समझकर।। किससे कहे दिल----------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गीतकार
Gurudeen Verma
White शीर्षक- तू बेखबर इतना भी ना हो --------------------------------------------------------------------- तू बेखबर इतना भी ना हो। कि अपने दिल की ही खबर ना हो।। करो तुम नफरत हमसे बहुत। मगर खुद से तो नाखुश ना हो।। तू बेखबर इतना भी ----------------------।। तुमसे शिकायत यह नहीं हमको। कि प्यार हमसे क्यों नहीं करते।। दुःख तो हमें होता है इससे। कि तुम रुसवां खुद से ही ना हो।। तू बेखबर इतना भी ------------------।। बिसात हमारी नहीं थी इतनी। खरीद सकते हम दिल तुम्हारा।। बहुत हसीन है महफ़िल तुम्हारी। लेकिन इसमें बदनाम तू ना हो।। तू बेखबर इतना भी ------------------------।। अच्छी लगी हमको पसंद तुम्हारी। तुमको मिल गया है साथी पसन्द का।। नाराज इसको कभी तू नहीं करना। शिकवा तुमको इससे कभी ना हो।। तू बेखबर इतना भी----------------------।। ऐसा इसलिए कहते हैं हम। कि तुमसे हम प्यार करते हैं।। नहीं हो अफसोस तुम्हें कल। अश्क़ तेरी आँखों में ना हो।। तू बेखबर इतना भी-----------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गीतकार