जिंदगी में कभी कभी ऐसी भी लम्हें आते है ज़ब सूखे फूल भी काँटों की तरह चुभने लग जाते है ज़ब जज्बात भटकने लगते है लफ़्ज़ भी लड़खडाने लगते है छोटी सी बात कहने के लिये हम मुँह अपना खोल नही पाते है एक पूरा ज़माना गुजर गया वो है क़ि अभी तक रूठे हुे अपने दिल की बात कहने से भी न जाने क्यों वो कतराते है कंधे से कन्धा मिला कर चले थे हम कभी आज उसके हाथ भी छू लो तो वे कम्पकपाते है ©Parasram Arora जिंदगी में कभी कभी r