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रिश्ता तेरा मेरा कुछ है ऐसा दो लम्हों के दर्मियाँ

रिश्ता तेरा मेरा कुछ है ऐसा
दो लम्हों के दर्मियाँ
जो वक्त होता है न कुछ वैसा
जो एक लम्हें को दूसरे लम्हें से जोड़ता है
एक लम्हे का दूसरे लम्हें से साथ नही छोड़ता है
हां भी होता उस वक्त का कही नाम ओ  निशान
मगर वो वक्त जैसे दिल धड़कन और जान
हां वही वक्त सा रिश्ता है तेरा मेरा
जैसे घने अंधेरे के बाद उजला सवेरा
जो ना होकर भी गहरा सा है
प्यार का जिस पर पहरा सा है

©kavya soni
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