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पथिक (दोहे) पथिक जरा चल देख के, है वो मंजिल दूर। 

पथिक (दोहे)

पथिक जरा चल देख के, है वो मंजिल दूर।  
थक कर कभी न बैठना, सपने होंगे चूर।। 

राहों को क्या देखता, है वो ही अनजान।   
चल कर उस पर ही तुझे, करनी है पहचान।।  

सही गलत के फैसले, करना अब तू जान।
धोखे मिलते राह में, बात यही तू मान।।       

यहीं पथिक तू भूलता, राह नहीं आसान।
आगे है विपदा खड़ी, नहीं तुझे है भान।।

डट कर चलना है तुझे, यही समय का फेर।
रखनी है आशा यही, क्यों होगी अब देर।।
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देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
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