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छन्द के छादन से छाप छोड़ती पतवार, छप-छप जल पे करे ह

छन्द के छादन से छाप छोड़ती पतवार,
छप-छप जल पे करे है हर पल वार,
ज्यों शनैःशनैः नौका बढ़ती है जलधार,
भवन के बंध काट, सार तत्त्व भव पार

©HINDI SAHITYA SAGAR
  छन्द के छादन से छाप छोड़ती पतवार,
छप-छप जल पे करे है हर पल वार,
ज्यों शनैःशनैः नौका बढ़ती है जलधार,
भवन के बंध काट, सार तत्त्व भव पार
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छन्द के छादन से छाप छोड़ती पतवार, छप-छप जल पे करे है हर पल वार, ज्यों शनैःशनैः नौका बढ़ती है जलधार, भवन के बंध काट, सार तत्त्व भव पार #Hindi #hindi_poetry #poem #hindisahityasagar #poemByShailendra #कविता

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