आखिर कब तक अपनी विफलता और अक्षमता को तुम्हारी खूंट की गिरह में बांध कर हल्की होती रहूं। सफलताओं का श्रेय बस मेरे दंभ और अभिमान के वशीभूत रहे जाने कितनी ही बार अपने विफल होते अनगिनत अथक प्रयासों को तुम्हारा नाम देकर अपनी व्यथा पीड़ा का निर्वहन करती रही। निश्चय ही विफलताओं का अधिभार वहन करना सहज नहीं और अक्षमता अस्वीकार्य। वैसे मेरी अंतरात्मा कोसती है मेरे इस मिथ्या अभिमान को झकझोरती है झंझावातों के आवेग से। लेकिन मैं अनसुनी कर आगे निकल जाती हूं.... पुनश्च! एक नये समर के प्रयाण पर शायद एक बार फिर मुझे तुम्हारे सहारे की आवश्यकता महसूस हो। "नियति" हो तुम विडंबना भाग्य की !! प्रीति #अनकही #नियति#भाग्य#सफल#असफल #yqdidi#yqhindiquotes