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"सोंचकर बोलना उनकी आदत न थी, बाअदब बोलना ज़ेहनी-चाह

"सोंचकर बोलना उनकी आदत न थी,
बाअदब बोलना ज़ेहनी-चाहत न थी,
बोलना-तोलना, तोलकर बोलना,
शहर के उनकी रश्म-ओ-रवायत न थी।"

©HINDI SAHITYA SAGAR
  "सोंचकर बोलना उनकी आदत न थी,
बाअदब बोलना ज़ेहनी-चाहत न थी,
बोलना-तोलना, तोलकर बोलना,
शहर के उनकी रश्म-ओ-रवायत न थी।"

"सोंचकर बोलना उनकी आदत न थी, बाअदब बोलना ज़ेहनी-चाहत न थी, बोलना-तोलना, तोलकर बोलना, शहर के उनकी रश्म-ओ-रवायत न थी।" #शायरी

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