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नदी सा हूं मैं दिन हो या रात अनवरत बहते जाना है

नदी सा हूं मैं

दिन हो या रात अनवरत बहते जाना है
हां फ़र्क पड़ता है कुछ इन मौसमों से
ठंड में जमना तो गर्मियों में सिकुड़ जाना

पर उनसे बेफिक्र अपने @मौसम@I@ के साथ निरंतर गतिमान हूं मैं

सोचता हूं मैं की थक के थोड़ा आराम कर लूं पर तभी अचानक हवा के थपेड़ों सा @वो@ कहती हैं मैं बह रही हू तू भी बह मेरे साथ…. रोज नए लोगो से मिलना फिर भी अपनी निरंतरता नही खोना…

बस @एक@ उसके साथ निरंतर चलते जाना

हां नदी सा हूं मैं

©इक _अल्फाज़@ars
  #Memories #तेरा_साथ #नदी #बस_तू #एक