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हर एक बात को दिल से लगाना ठीक नहीं दिल तो इकलौता स

हर एक बात को दिल से लगाना ठीक नहीं
दिल तो इकलौता साथी है अपना इस जहां में
हमने अपनो को स्वार्थ करते देखा है आजकल
तुम से ज्यादा तेरे लिए रोते हुए देखा है इसे
चाहे कुछ भी हुआ ज्यादा असर दिल पर हुआ
कुछ पल 2 घड़ी इसे भी कभी आराम दें दें
धड़कता रहा सीने में किसी मजदूर की तरह
जो कुछ था पास उसके था सिर्फ तेरे ही लिए
आज हद से ज्यादा मौतें है दिल की बदौलत
जब झेला ना गया घडी की तरह बंद पड़ गया

©Vickram
  आंखिर दिल का क्या कसूर था,,
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Vickram

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आंखिर दिल का क्या कसूर था,, #शायरी

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