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गलती से भी कभी ये गलती मत करना, किसीको हाथ बढ़ाकर

गलती से भी कभी ये गलती मत करना,
किसीको हाथ बढ़ाकर फिर उसका साथ मत छोड़ना;
उसकी दर्द-ए-दिल की आह तुम झेल नहीं सकोगे,
फिर ना कोई वक्त मिलेगा की जा कर मना पाओगे;
सही में उस रब की नेमतें भी कम लगेंगी जरुर,
बस वही बद्दुआ तुम्हें ख़लती रहेगी बा-दस्तुर।
 About philosophy of helping each other
गलती से भी कभी ये गलती मत करना,
किसीको हाथ बढ़ाकर फिर उसका साथ मत छोड़ना;
उसकी दर्द-ए-दिल की आह तुम झेल नहीं सकोगे,
फिर ना कोई वक्त मिलेगा की जा कर मना पाओगे;
सही में उस रब की नेमतें भी कम लगेंगी जरुर,
बस वही बद्दुआ तुम्हें ख़लती रहेगी बा-दस्तुर।
 About philosophy of helping each other