गलती से भी कभी ये गलती मत करना, किसीको हाथ बढ़ाकर फिर उसका साथ मत छोड़ना; उसकी दर्द-ए-दिल की आह तुम झेल नहीं सकोगे, फिर ना कोई वक्त मिलेगा की जा कर मना पाओगे; सही में उस रब की नेमतें भी कम लगेंगी जरुर, बस वही बद्दुआ तुम्हें ख़लती रहेगी बा-दस्तुर। About philosophy of helping each other