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बूंदों का जमीं पे गिर नदियों से बह के आना लबालब सि

बूंदों का जमीं पे गिर नदियों से बह के आना
लबालब सिंधु इनके वजूद को भूल जाता हैं!
मंडराते हैं मदमस्त होकर फ़लक़ में ये बादल
तपकर वाष्प हो पानी खुद को भूल जाता हैं!
बेबसी को देख वबा में ये इंसानियत फरिस्ता 
पहले मैं इंसान हूँ सोनू सूद को भूल जाता हैं !!

असली #नायक को साधुवाद 🇮🇳 ❤️😍🙏

-#रामकरण #opensky
बूंदों का जमीं पे गिर नदियों से बह के आना
लबालब सिंधु इनके वजूद को भूल जाता हैं!
मंडराते हैं मदमस्त होकर फ़लक़ में ये बादल
तपकर वाष्प हो पानी खुद को भूल जाता हैं!
बेबसी को देख वबा में ये इंसानियत फरिस्ता 
पहले मैं इंसान हूँ सोनू सूद को भूल जाता हैं !!

असली #नायक को साधुवाद 🇮🇳 ❤️😍🙏

-#रामकरण #opensky