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कदम कदम पर धोखे हैं, मुफ्त में मिल रहे फरेब के खो

कदम कदम पर धोखे हैं, 
मुफ्त में मिल रहे फरेब के खोखे हैं,,
औरों की बात क्या करूँ साहब, 
खंजर सबने पेट में भोंके हैं। ।
हर वक्त किया सबका भला, 
पर जी भर सबने मुझे ही छला,,
प्रेम के पथ पर मैं चला, 
तिरस्कार की अग्नि में मैं ही जला। ।
written by संतोष वर्मा azamgarh वाले 
खुद की जुबानी

©Santosh Verma
  #dhokhe