हम कोशिश करते रहे मनचाहा पाने की। आसमाँ के सितारों को ज़मीन पर लाने की। ख़्वाहिशों की जद में भूल गए सब कुछ हम! ज़रूरत ज़मीन पर रही हमें पेड़ लगाने की। हम काग़ज़ी फूलों से दुनिया महकाते हैं। क़िताबों में क़ानून बना बेहद इतराते हैं। कुछ दिन जश्न मनाया जाता है--- टी आर पी के लिए न्यूज़ भुनाया जाता है। आरोप प्रत्यारोप का खेल क़माल होता है। सत्ता तो सत्ता, विपक्ष भी घुमाया जाता है। करते तो कुछ नहीं बस सबको बहकाते हैं। क्यों मजबूर हुए हम, ख़ुद से पूछो कभी! गलतियाँ किसने की, समझो बूझो कभी! ख़्वाब खिड़कियों में क़ैद कर लिए जाते हैं! और इज़ाज़त मिलती नहीं बाहर जाने की। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1066 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।