अल्फ़ाज़ों को लिखना भी छोड़ दिया है,
अपना प्यार जताना भी छोड़ दिया है,
उनको मनाना भी छोड़ दिया है,
अपने दिल को बार बार समझाना भी छोड़ दिया है,
जब फर्क ही न पड़े किसी को मेरी हंसी और मेरे आँशु से....
तो
उसके लिए हँसना और उसके बिना रोना भी छोड़ दिया है।।।
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