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सबने देखा है उस पापी रावण के अभिमान को, नहीं समझता

सबने देखा है उस पापी रावण के अभिमान को,
नहीं समझता था वह कुछ भी, किसी और के सम्मान को।

एक दिन अपने अहंकार में सब कुछ था वह भूल गया,
बालि से लडने आया और चाट के रण में धूल गया।

तुम क्या जानो छह महीने कितना रावण पछताया था,
कितना बलशाली था बालि ये उसको समझ में आया था।

और बताता हूं तुमको रावण के दंभ के मर्दन की,
बच्चों द्वारा घुड़साल में बंधी उस अभिमानी की गर्दन की।

उस दिन रावण ने सोचा था राजा बली से  लड़ना है,
कुछ भी करके पाताल नरेश बली का वध उसे करना है।

पर उसके इस कुटिल मनोरथ को कुछ बच्चे जान गए,
रावण की बुरी नियत को वो बस पल भर में पहचान गए।

बांध लिया घुड़साल में उसको उसका मद फिर चूर किया,
रावण जैसे महाबली को कुछ बच्चों ने मजबुर किया।

और सुनो तुम्हे बात सहस्र बाहु अर्जुन की बतलाता हूं,
कौन वीर था अर्जुन ये भी तुमको समझता हूं।

जब अर्जुन से लडने रावण सेना समेत टकराया था,
तब अर्जुन का देख पराक्रम रावण भी चकराया था।

नर्मदा नदी का समस्त जल जब अर्जुन ने रावण पे छोड़ दिया,
सेना समेत रावण का अभिमान पुनः किसी ने तोड़ दिया।

इसलिए हे मित्र, बात कभी ना करना रावण के अभिमान पे,
अभिमान की चिता जला दो जाकर किसी और श्मशान में।

sk mishra (स्वरचित) #रावण का abhiman mardan,
#nojotostory #penpoetry
सबने देखा है उस पापी रावण के अभिमान को,
नहीं समझता था वह कुछ भी, किसी और के सम्मान को।

एक दिन अपने अहंकार में सब कुछ था वह भूल गया,
बालि से लडने आया और चाट के रण में धूल गया।

तुम क्या जानो छह महीने कितना रावण पछताया था,
कितना बलशाली था बालि ये उसको समझ में आया था।

और बताता हूं तुमको रावण के दंभ के मर्दन की,
बच्चों द्वारा घुड़साल में बंधी उस अभिमानी की गर्दन की।

उस दिन रावण ने सोचा था राजा बली से  लड़ना है,
कुछ भी करके पाताल नरेश बली का वध उसे करना है।

पर उसके इस कुटिल मनोरथ को कुछ बच्चे जान गए,
रावण की बुरी नियत को वो बस पल भर में पहचान गए।

बांध लिया घुड़साल में उसको उसका मद फिर चूर किया,
रावण जैसे महाबली को कुछ बच्चों ने मजबुर किया।

और सुनो तुम्हे बात सहस्र बाहु अर्जुन की बतलाता हूं,
कौन वीर था अर्जुन ये भी तुमको समझता हूं।

जब अर्जुन से लडने रावण सेना समेत टकराया था,
तब अर्जुन का देख पराक्रम रावण भी चकराया था।

नर्मदा नदी का समस्त जल जब अर्जुन ने रावण पे छोड़ दिया,
सेना समेत रावण का अभिमान पुनः किसी ने तोड़ दिया।

इसलिए हे मित्र, बात कभी ना करना रावण के अभिमान पे,
अभिमान की चिता जला दो जाकर किसी और श्मशान में।

sk mishra (स्वरचित) #रावण का abhiman mardan,
#nojotostory #penpoetry
skmishra7358

Sk mishra

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