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_ग़ज़ल "तख़्त ए शाही" मज़ाक़ थोड़ी है "जुमले बाज़ी " मज़

_ग़ज़ल
"तख़्त ए शाही"  मज़ाक़ थोड़ी है
"जुमले बाज़ी "  मज़ाक़ थोड़ी है

होना पड़ता है  "अक़्ल से  पैदल"
"अंध भक्ति"  मज़ाक़   थोड़ी  है

बादशाहों  को  ख़ौफ़  में  रखना
ये  "फ़क़ीरी"  मज़ाक़  थोड़ी   है

बेरहम ,   बेज़मीर   बन  पहले
"राजनीति"  मज़ाक़  थोड़ी   है 

बह्र, मीटर,  ख़याल, शब्द चयन
शायरी  भी ,  मज़ाक़  थोड़ी  है

                      #असद_निज़ामी

©DrAsad Nizami
  #angrygirl