" आज एक दफा फिर नाम तेरा यूं सामने आया है , मयस्सर में निगेवाह हुआ किसी शख़्स के बहाने तु याद आया हैं , भुल के भुल जाना चाहते हैं याद कुछ यूं रहते जैसे कभी भुले ना हो , रफ्ता - रफ्ता एहसास में तुम अब भी मैजूद हो कहीं तुम . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " आज एक दफा फिर नाम तेरा यूं सामने आया है , मयस्सर में निगेवाह हुआ किसी शख़्स के बहाने तु याद आया हैं , भुल के भुल जाना चाहते हैं याद कुछ यूं रहते जैसे कभी भुले ना हो , रफ्ता - रफ्ता एहसास में तुम अब भी मैजूद हो कहीं तुम . " --- रबिन्द्र राम