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अजीब से इत्तेफाक से हम दो चार हुए हैं इश्क़ में खो

अजीब से इत्तेफाक से हम दो चार हुए हैं
इश्क़ में खोकर उनके हम बर्बाद हुए हैं 
क़ातिल निगाहें  हमें ढुंढ ही लेती हैं
बेबस है फिर भी उनके तलबगार हुए हैं

©KRISHNARTH #तलबगार 

#walkalone
अजीब से इत्तेफाक से हम दो चार हुए हैं
इश्क़ में खोकर उनके हम बर्बाद हुए हैं 
क़ातिल निगाहें  हमें ढुंढ ही लेती हैं
बेबस है फिर भी उनके तलबगार हुए हैं

©KRISHNARTH #तलबगार 

#walkalone