Find the Best तलबगार Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutतलबगार का अर्थ है, एक छोटी सी नौकरी का तलबगार हूँ मैं lyrics, मांझी तेरी कश्ती के तलबगार, तलबगार का meaning, तलबगार का मतलब,
Sudhir Sky
White #जुदा होकर भी उसका #इंतज़ार है तो है क्या कहे उस #ज़ालिम से हमें #प्यार है तो है #खबर है मुझे उसकी नज़र #अंदाज़ी की भी मगर उसे #देखने को दिल #बेकरार है तो है वो करते रहे #गैरों सा #सूलूक हम से मगर वो मेरे #अपनों में #शुमार है तो है चाहे #उनको हो लाख #गलत फहमीयाँ #मगर उस पर #जान #निसार है तो है #बेशक आज नहीं है वो #करीब हमारे मगर #घड़कनें आज उसकी #तलबगार है तो है Good night🌹 ©Sudhir Sky #love_shayari
आनन्द कुमार
तुम से मिलकर, हम थोड़े समझदार बन जाते हैं। चलो आज फिर, हम तुम्हारे तलबगार बन जाते हैं। ---------आनन्द ©आनन्द कुमार #आनन्द_गाजियाबादी #तलबगार #Anand_Ghaziabadi
#आनन्द_गाजियाबादी #तलबगार #Anand_Ghaziabadi
read moreRabindra Kumar Ram
" जाने किसकी ख़्वाहिशों का तलबगार हो रहा हूं , मुहब्बत हूं प्यार से इश्क़ हो रहा हूं , छुपाते की ज़ाहिर करें अपने आरज़ू, जाने किसकी अज़िय्यत में मैं जी रहा हूं ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " जाने किसकी ख़्वाहिशों का तलबगार हो रहा हूं , मुहब्बत हूं प्यार से इश्क़ हो रहा हूं , छुपाते की ज़ाहिर करें अपने आरज़ू, जाने किसकी अज़िय्यत में मैं जी रहा हूं ." --- रबिन्द्र राम #तलबगार #मुहब्बत #प्यार #इश्क़ #ज़ाहिर #आरज़ू #अज़िय्यत
Rabindra Kumar Ram
*** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मुसलसल हो जाऊं मैं , खुद को तेरी आदतों में कितना मशग़ूल किया जाये , तुझमें में मसरुफ़ कहीं जाऊं मैं , बात जो भी फिर कहा तक जार बेजार , तेरे ज़िक्र की नुमाइश की पेशकश की जाये , लो ज़रा सी इबादत कर लूं भी मैं , इश्क़ की बात हैं मुहब्बत कर लूं मैं , तेरे ख्यालों की नुमाइश क्या ना करता मैं , ज़र्फ़ तेरी जुस्तजू तेरी आरज़ू तेरी , फिर इस हिज़्र में फिर किस की ख़्वाहिश करता मैं , उल्फते-ए-हयात एहसासों को अब जिना आ रहा मुझे , जो तेरे ख्यालों के तसव्वुर से रफ़ाक़त जो कर रहा हूं मै . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मुसलसल हो जाऊं मैं , खुद को तेरी आदतों में कितना मशग़ूल किया जाये , तुझमें में मसरुफ़ कहीं जाऊं मैं ,
*** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मुसलसल हो जाऊं मैं , खुद को तेरी आदतों में कितना मशग़ूल किया जाये , तुझमें में मसरुफ़ कहीं जाऊं मैं ,
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" यूं तो होने का मैं भी हूं , यूं तो होने का तुम भी हो , फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये , तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे , रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं , खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " यूं तो होने का मैं भी हूं , यूं तो होने का तुम भी हो , फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये , तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे , रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं , खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " --- रबिन्द्र राम
" यूं तो होने का मैं भी हूं , यूं तो होने का तुम भी हो , फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये , तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे , रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं , खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " --- रबिन्द्र राम
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" यूं तो होने का मैं भी हूं , यूं तो होने का तुम भी हो , फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये , तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे , रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं , खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " यूं तो होने का मैं भी हूं , यूं तो होने का तुम भी हो , फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये , तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे , रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं , खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " --- रबिन्द्र राम
" यूं तो होने का मैं भी हूं , यूं तो होने का तुम भी हो , फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये , तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे , रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं , खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " --- रबिन्द्र राम
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" इक तु हैं जा चुकी हैं, देख मैं तेरा तलबगार अब भी हूँ, रास आये मुझे कोई और भी महज़ ये बात कैसी, मगर मैं तेरे दिद का मुंतज़िर अब भी हूँ ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " इक तु हैं जा चुकी हैं, देख मैं तेरा तलबगार अब भी हूँ, रास आये मुझे कोई और भी महज़ ये बात कैसी, मगर मैं तेरे दिद का मुंतज़िर अब भी हूँ ." --- रबिन्द्र राम
" इक तु हैं जा चुकी हैं, देख मैं तेरा तलबगार अब भी हूँ, रास आये मुझे कोई और भी महज़ ये बात कैसी, मगर मैं तेरे दिद का मुंतज़िर अब भी हूँ ." --- रबिन्द्र राम
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" कुछ कर फैसला की मैं तेरा तलबगार आखिर कब तक रहु, हयाते-ए-हिज्र की बात मुनासिब और मुमकिन हो तो हो कैसे . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " कुछ कर फैसला की मैं तेरा तलबगार आखिर कब तक रहु, हयाते-ए-हिज्र की बात मुनासिब और मुमकिन हो तो हो कैसे . " --- रबिन्द्र राम #फैसला #तलबगार #हयाते-ए-हिज्र #मुनासिब #मुमकिन
Shubham Bhardwaj
वार पर वार खाकर के,दिल, दर्दोगम का तलबगार हो गया। हमको मिला है दर्द ए दिल, दिल को दर्द से प्यार हो गया।। ©Shubham Bhardwaj #WoNazar #वार #पर #खाकर #दिल #दर्द #ए #का #तलबगार
Shubham Bhardwaj
गुनाह किया है तो सजा के तलबगार बनो। जो भी बनो कुदरत के इंसाफ के पेरोकार बनो।। ©Shubham Bhardwaj #WoRasta #गुनाह #किये #है #तो #सजा #के #तलबगार #बनो