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ज़रा सोच ______ बेजान सा दर्पण भी तेरे  दीदार को

 ज़रा सोच
______

बेजान सा दर्पण भी तेरे  दीदार को तरसता है 
ज़रा सोच, तेरे बिन मेरी नज़रें किस दौर से गुज़रती होंगी

वक़्त का हर लम्हा भी थम जाता है तेरे इंतज़ार में 
ज़रा सोच, मेरे सब्र की इंतेहां का क्या हश्र होता होगा

मनीष राज

©Manish Raaj
  #ज़रा सोच
manishraaj9056

Manish Raaj

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#ज़रा सोच #शायरी

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