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नसीहत हमको देते हो, कभी समझो ख़ुद भी ख़ुद को, गुनाहग

नसीहत हमको देते हो, कभी समझो ख़ुद भी ख़ुद को,
गुनाहगार हो तुम भी, बताओ ये कभी ख़ुद को।,
अकेले मैं नहीं तुम भी तो आये थे मुहब्बत में,
रंजिश-ए-प्यार की बातें बताओ न सनम सबको।

©HINDI SAHITYA SAGAR
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