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मैं वफाओं का जिक्र क्या करूं जब अपनी सांस हि बेवफा

मैं वफाओं का जिक्र क्या करूं
जब अपनी सांस हि बेवफा है

दर्द का क्या अहसास करूं
जब दर्द ही दवा है

फासलों कि क्या बात करूं
जब मंजिल हि लापता है

रौशनी कि क्या बात करू
जब वजुद ही अंधेरे में ढका है

बेहोशी का क्या एहसास करुं
जब होश में आना हि सजा है।

©Amit Sir KUMAR
  #devdas मैं वफाओं का जिक्र क्या करूं...

#devdas मैं वफाओं का जिक्र क्या करूं... #शायरी

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