तेरी फ़ुरक़त में तेरे ग़म गुसारों को न नींद आई।
ज़माना सो गया पर ग़म के मारो को न नींद आई।।
हमारी आह, का नारा फलक से जाके टकराया।
न सोए चांद औ सूरज सितारों को न नींद आई।।
किनारे बैठे थे जाकर भरा अश्कों का था गागर।
समंदर रात भर तड़पा किनारों को नींद आई।। #Shayari#gazal#कविता#nojotohindi#शायरी#kuchlafz#samvedita#संवेदिता#सायबा