होली है बेरंग, बदले सबके ढंग, फीका है त्योहार, कोई नहीं है संग, अंतर्मन में आज, मची हुई है जंग, बिछड़ गए साथी, जनता होती दंग, नारा अबकी बार, घोले मन में भंग, घायल हुआ विपक्ष, ख़ुदगर्जी से तंग, 'गुंजन' खेले फाग, हुआ गुलाबी अंग, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई ©Shashi Bhushan Mishra #होली है बेरंग#