दिल के जज़्बात, अल्फ़ाज़ में लिखकर जिसने महफ़िल गरमाया है ! अंदर अंदर टूटा बेशक,पर इल्ज़ाम खुद ही पर लगाया है ! जख्मों को दिल में ही जलाकर जिसने लब्जों में बिखराया है ! खुद से खुद के ज़ख्म कुरेदना आज हुनर उसका कहलाया है ! यूं हल्के में ना लीजिए इस दीवाने को ,जनाब दर्द को दिल में पाल कर उसने शायर का खिताब पाया है ! शायर का खिताब पाया है ! शायर का खिताब पाया है!!