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मेरा सफर जिंदगी एक सफर जाना बहुत दूर है मंजिल जब

मेरा सफर 
जिंदगी एक सफर जाना बहुत दूर है
मंजिल जब न मिले आराम दूर है
                  दूर बहुत  है मंजिल हार नही मानूँगा
                 थक कर विश्राम कर चलना नही छोरुंगा
छोटा था सोचता बस यही तो वो मंजिल
जैसे जैसे बड़ा हुआ दूर होती गई मंजिल
              चलना सिर्फ चलना नहीं है यह मेरा सफर
              सद कार्य,सद विचार करते चलना है सफर
परिवार को जोड़ कर समाज से मिलकर
राष्ट्र,मानव जीवन का कल्याण है सफर
                सब के साथ से विकास स्वयं का विकास
                हर पल प्रगति के साथ चलना है सफर
गति बाहर नहीं आत्म चेतना की प्रगति
भौतिकवाद से अध्यात्मवाद का है सफर
                 कष्ट न दे किसी को काँटो से भरा है रास्ता
                परवाह सब की नज़र खुद पर चलना रास्ता
सफर लम्बा विश्राम संभव लक्ष्य अड़िग 
विश्राम मिले मरघट मे पर दूर यह मंजिल

             *वैभव* का सफर जारी रहेगा
             जीवन डोर *श्री प्रशस्त* करते रहेंगे

©वैभव जैन #मेरा सफर
मेरा सफर 
जिंदगी एक सफर जाना बहुत दूर है
मंजिल जब न मिले आराम दूर है
                  दूर बहुत  है मंजिल हार नही मानूँगा
                 थक कर विश्राम कर चलना नही छोरुंगा
छोटा था सोचता बस यही तो वो मंजिल
जैसे जैसे बड़ा हुआ दूर होती गई मंजिल
              चलना सिर्फ चलना नहीं है यह मेरा सफर
              सद कार्य,सद विचार करते चलना है सफर
परिवार को जोड़ कर समाज से मिलकर
राष्ट्र,मानव जीवन का कल्याण है सफर
                सब के साथ से विकास स्वयं का विकास
                हर पल प्रगति के साथ चलना है सफर
गति बाहर नहीं आत्म चेतना की प्रगति
भौतिकवाद से अध्यात्मवाद का है सफर
                 कष्ट न दे किसी को काँटो से भरा है रास्ता
                परवाह सब की नज़र खुद पर चलना रास्ता
सफर लम्बा विश्राम संभव लक्ष्य अड़िग 
विश्राम मिले मरघट मे पर दूर यह मंजिल

             *वैभव* का सफर जारी रहेगा
             जीवन डोर *श्री प्रशस्त* करते रहेंगे

©वैभव जैन #मेरा सफर