जो अर्ज में दिखाई दे शिद्दत कभी-कभी अश्कों से भी लिखी है इबारत कभी-कभी चलना सिखाया तुमने उगंली पकड़ हमें सब्रो सुकून सी हो इनायत कभी-कभी बस आसरा न छूटे तुम्हारा किसी भी पल होगी हयात में जो मुसीबत कभी कभी अहले जहां में जिसका सहारा मिला सदा कम लोग ही चुकाते हैं कीमत कभी कभी हो ध्यान में 'सुधा' के ही तुम अब तो हर घड़ी मिलती गुरू कृपा की है दौलत कभी-कभी ©Sudha Tripathi #guru