गवाही मेरे गुनाहों की।।
कौन करेगा पैरवी, देगा कौन गवाही, मेरे गुनाहों की,
जब हर चौराहे, होती रही वाह वाही, मेरे गुनाहों की।
छुप जिस चादर में, रहा करता कत्ल खुद का ही,
कौन था साथी, क्या सज़ा है बाकी, मेरे गुनाहों की।
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