प्रेम और जीवन दो अच्छे मित्र थे। दोनों बचपन से साथ साथ थे। जीवन प्रेम के पिता के वाहन चालक का बेटा था। या कह सकते हैं प्रेम अमीर और जीवन गरीब था, पर दोनों की दोस्ती सच्ची थी। दोनों का एक दूजे के बिन कोई काम नहीं होता, साथ विद्यालय जाना, साथ खेलना और साथ पढ़ना। हर कार्य दोनों साथ करते थे।
कुछ वक़्त बाद जीवन के पिता की मृत्यु हो जाती है। पिता के जाने के बाद जीवन और परिवार असहाय हो जाता है। प्रेम के घर से वो चले जाते है। प्रेम अपने दोस्त को दूर जाते देख रोने लगता है उदासी उसको परेशान कर देती है। जीवन का विद्यालय छूट जाता है वो छोटा काम-काज करने लगता है।
प्रेम कैसे भी करके जीवन का पता लगाता है, और बिना जीवन को पता लगे उसकी मदद करता है। जीवन को अच्छे विद्यालय में दाखिला मिल जाता है। उसकी फीस प्रेम भरता है, किताबों की व्यवस्था करता है।
जीवन एक दिन बड़ा आदमी बन जाता है। उसके दिन बदल जाते है। वो भी अपने दोस्त प्रेम को याद करता है। पर मुलाक़ात नहीं हो पाती है। एक दिन जीवन उसी विद्यालय में जहा वो पढ़ा था वहा मुख्य अतिथि बनकर जाता है। वहां उसको अपने गुरुजन से प्रेम के बारे में सब पता लगता है। वो बहुत परेशान हो जाता है प्रेम को बहुत ढूँढता है । अंततः प्रेम और जीवन मिल जाते है यह लम्हा बहुत भावुक होता है। एक दूसरे की गले लगाते है।
#कोराकाग़ज़#collabwithकोराकाग़ज़#विशेषप्रतियोगिता#kkpc20