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भीड़ की इस तन्हाई में, मैं तुझको ढूंढा करता हुँ सो

भीड़ की इस तन्हाई में, मैं तुझको ढूंढा करता हुँ
सोच सोच कर तुझको सारे ख्वाब पूरा करता हुँ
मंदिर से आती हैं सदाएं, तेरी अवाज सुनाई देती है
होकर व्याकुल निहारूं इधर उधर, और तूँ मेरे अन्दर बसती है
जब चाँद गगन में लरजकर लहरा जाता है
बादलों में छुपा तेरा चेहरा और तेरी खिलखिलाहट सुनाई देती है
ढूंढता हूँ तूझे मैं इधर उधर होकर निराला व्याकुल
और तूँ मेरे अंतस में जन्मों से समाई लगती है

©Sanjay Ni_ra_la
  #तूँ मुझमे समाई लगती है

#तूँ मुझमे समाई लगती है #शायरी

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