Nojoto: Largest Storytelling Platform

Best तूँ Shayari, Status, Quotes, Stories

Find the Best तूँ Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about

  • 33 Followers
  • 239 Stories

Sanjay Ni_ra_la

#तूँ मुझमे समाई लगती है

read more

Shivangi Priyaraj

read more

Kranti Thakur

#तूँ खुद की #खोज में निकल तूँ किस लिए

read more

Kranti Thakur

#तूँ मुझसी हो नहीं सकती

read more

Kranti Thakur

#तूँ

read more
सारी दुनियाँ की रूसवाई का गिला नहीं है मुझे।
ग़म तो बस इतना है के एक तूँ है जो मिला नहीं है मुझे।।


- क्रांति #तूँ

Shayar Samar S M

read more
उसे इतना भी याद ना कर ऐ दिल
की तूँ फिर पुरानी यादों में खो  जाए
मुद्दतो से भूला बैठा है जो तुझे
आज उसकी खातिर तूँ फिर रो जाए #NojotoQuote

Kranti Thakur

जो कुछ समझा जान मैं पाया
मैं तुमको अर्पण करता हूँ।
जीवन रूपी समर शेष है
मैं आत्मसमर्पण करता हूँ।
कब चाहत थी मेरी ये के
तेरी बाँहों के हार मिले।
मैंने फ़क़त ये चाहा था
के उम्र तलक तेरा प्यार मिले।
तेरी आँखों में डूब सकुँ
मुझको बस मझधार मिले।
जीवन की सब उलझी राहें
ज़ुल्फ़ों सा तेरी सुलझ जाये।
अपना हर ग़म भूल मैं जाऊँ
तेरा ग़म गर मिल जाए।
रूह में कुछ तूँ यूँ बस जाये
के साँसों को क़रार मिले।
खोयी हुई दिल की धड़कन को
फिर से वही रफ़्तार मिले।
ख़्वाहिशें मेरी जो हो हमदम
बस तूँ ही मुझे हर बार मिले।
हाँ तूँ ही मुझे हर बार मिले।।।

- क्रांति #आत्मसमर्पण

कवि मुकेश मोदी

read more
धरती माँ की पुकार

माँ हूँ बच्चों मैं तुम्हारी और तुम हो मेरे लाल

पाल पालकर तुम सबको हो गई मैं कंगाल

कमजोर किया मुझे चीर के देखो मेरा सीना

प्रदूषण फैलाकर कठिन कर दिया मेरा जीना

बाँझ मुझे बनाया पिलाकर जहरीले रसायन

अपने विकास का तुम करते हो झूठा गायन

कहीं किया मुझे बंजर कहीं दलदल फैलाया

घोर बिमारियों से मुझको भी ग्रसित बनाया

ऐसी जर्जर हालत में कैसे तुम सबको पालूं

कैसे अपने सीने से अमृत तुल्य फल निकालूं

पुत्र समान मेरे प्रिय वृक्षों को तुमने काट दिया

मेरे ही आँचल को तुमने सीमाओं में बाँट दिया

चलते चलते मुसाफिर थककर ही मर जाता है

दूर दूर तक पेड़ की ठंडी छाँव नहीं वो पाता है

छलनी किया मेरा सीना तूने ये क्या कर डाला

लालच में तूने मेरे मुख का छीन लिया निवाला

तेरे पांवों तले रहती थी तुझसे क्या मैं लेती थी

जितना लेती थी तुझसे हजार गुना मैं देती थी

अब भी नहीं बिगड़ा कुछ खुद को तूँ संभाल

विलासिता के जंजाल से खुद को तूँ निकाल

हरियाली बढ़ाकर करते जाना तूँ मेरा पालन

श्रीमत के बल पर करना जीवन का संचालन

प्यार करके मुझको तूँ पा ले सुख अविनाशी

हरियाली फैलाकर तूँ मिटा दे मेरी भी उदासी

मेरी सेवा करेगा तो मैं भी सेवा करूंगी तेरी

सुख दूंगी अपार तुझे ये है अटल प्रतिज्ञा मेरी

ॐ शांति

कवि मुकेश मोदी

read more
धरती माँ की पुकार

माँ हूँ बच्चों मैं तुम्हारी और तुम हो मेरे लाल

पाल पालकर तुम सबको हो गई मैं कंगाल

कमजोर किया मुझे चीर के देखो मेरा सीना

प्रदूषण फैलाकर कठिन कर दिया मेरा जीना

बाँझ मुझे बनाया पिलाकर जहरीले रसायन

अपने विकास का तुम करते हो झूठा गायन

कहीं किया मुझे बंजर कहीं दलदल फैलाया

घोर बिमारियों से मुझको भी ग्रसित बनाया

ऐसी जर्जर हालत में कैसे तुम सबको पालूं

कैसे अपने सीने से अमृत तुल्य फल निकालूं

पुत्र समान मेरे प्रिय वृक्षों को तुमने काट दिया

मेरे ही आँचल को तुमने सीमाओं में बाँट दिया

चलते चलते मुसाफिर थककर ही मर जाता है

दूर दूर तक पेड़ की ठंडी छाँव नहीं वो पाता है

छलनी किया मेरा सीना तूने ये क्या कर डाला

लालच में तूने मेरे मुख का छीन लिया निवाला

तेरे पांवों तले रहती थी तुझसे क्या मैं लेती थी

जितना लेती थी तुझसे हजार गुना मैं देती थी

अब भी नहीं बिगड़ा कुछ खुद को तूँ संभाल

विलासिता के जंजाल से खुद को तूँ निकाल

हरियाली बढ़ाकर करते जाना तूँ मेरा पालन

श्रीमत के बल पर करना जीवन का संचालन

प्यार करके मुझको तूँ पा ले सुख अविनाशी

हरियाली फैलाकर तूँ मिटा दे मेरी भी उदासी

मेरी सेवा करेगा तो मैं भी सेवा करूंगी तेरी

सुख दूंगी अपार तुझे ये है अटल प्रतिज्ञा मेरी

ॐ शांति

कवि मुकेश मोदी

read more
धरती माँ की पुकार

माँ हूँ बच्चों मैं तुम्हारी और तुम हो मेरे लाल

पाल पालकर तुम सबको हो गई मैं कंगाल

कमजोर किया मुझे चीर के देखो मेरा सीना

प्रदूषण फैलाकर कठिन कर दिया मेरा जीना

बाँझ मुझे बनाया पिलाकर जहरीले रसायन

अपने विकास का तुम करते हो झूठा गायन

कहीं किया मुझे बंजर कहीं दलदल फैलाया

घोर बिमारियों से मुझको भी ग्रसित बनाया

ऐसी जर्जर हालत में कैसे तुम सबको पालूं

कैसे अपने सीने से अमृत तुल्य फल निकालूं

पुत्र समान मेरे प्रिय वृक्षों को तुमने काट दिया

मेरे ही आँचल को तुमने सीमाओं में बाँट दिया

चलते चलते मुसाफिर थककर ही मर जाता है

दूर दूर तक पेड़ की ठंडी छाँव नहीं वो पाता है

छलनी किया मेरा सीना तूने ये क्या कर डाला

लालच में तूने मेरे मुख का छीन लिया निवाला

तेरे पांवों तले रहती थी तुझसे क्या मैं लेती थी

जितना लेती थी तुझसे हजार गुना मैं देती थी

अब भी नहीं बिगड़ा कुछ खुद को तूँ संभाल

विलासिता के जंजाल से खुद को तूँ निकाल

हरियाली बढ़ाकर करते जाना तूँ मेरा पालन

श्रीमत के बल पर करना जीवन का संचालन

प्यार करके मुझको तूँ पा ले सुख अविनाशी

हरियाली फैलाकर तूँ मिटा दे मेरी भी उदासी

मेरी सेवा करेगा तो मैं भी सेवा करूंगी तेरी

सुख दूंगी अपार तुझे ये है अटल प्रतिज्ञा मेरी

ॐ शांति
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile