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जब जब होली आयी तू आयी यादे बनकर यही तो एक मौका होत

जब जब होली आयी
तू आयी यादे बनकर
यही तो एक मौका होता
जब तू आती कभी पुतकर
और कभी संवर कर
कभी रंग तो कभी गुलाल लेकर
तेरी शरारतों का पुलिंदा
आज भी सम्हाले रखा है
हा वो बाली बात नही
अगजा की रात भी नही
तब कितने बहाने होते थे
आज कोई सौगात भी नही
कोई बात नही
घर से निकलता भी नही
तू भी पड़ी होगी दूर कही
किसी कोने  में विस्तर पर
यादाश्त अच्छी थी तेरी
उम्मीद कोई लम्हा होगी
तुम भूली भी नही
आज के दिन जब भी
जहा भी रहूं तू यादे बनकर
आ ही जाती हो बोल नही पाता
किसी से लेकिन तुम आकर
थोड़ा गुद गुदा ही जाती हो
पता ही नही चलता और
पलको को भींगा जाती हो
आना आते रहना हर होली
कुछ इसी तरह हर दफा -हरवार

©ranjit Kumar rathour
  होली यादों वाली
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#होलीकेरंग

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