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हमसफ़र के साथ का सफर हमसफर के साथ सफर तब


         हमसफ़र के साथ का सफर
हमसफर के साथ सफर तब शुरू नहीं होता 
जब हाथों में लगी मेहंदी होती है 
हमसफर के साथ सफर तब शुरू होता है
जब हाथ कांप रहे होते हैं और हमसफर 
का हाथ आपके हाथों में हो
हमसफ़र के साथ सफर तब शुरु नहीं होता
जब तुम्हें मेरे कजरा और बालों में लगा गजरा
खुबसुरत लगे हमसफ़र के साथ सफर तो तब शुरु
होता है जब चंद बचे उजले बालों में अपनी शादी
की वर्षगांठ पर तेरे हाथों से लगा अपने बाग का लगा
कोई गुलाब हो 
हमसफर के साथ सफर तब शुरू नही होता गालों पे
निखार हो और होठ पे हसी हो  
हमसफ़र के साथ सफर तो तब शुरु होता है
जब गालों पे झुरी हो और आंखों में नमी हो
किसी का साथ हो न हो आपके हमसफ़र की वहा मौजूदगी हो
हमसफर का साथ सफर तब शुरू नहीं होता जब आप
छुट्टी पे कभी रात में किसी टेबल पर खाना खा रहे हो और पास में बज रहा कोई मधुर संगीत हो
हमसफर के साथ सफर तब शुरू होता है जब
जब आप खाना खा कर और सोने जा रहे हो 
और बूढ़ी हाथों में पानी का ग्लास और दबा हो
हमसफर के साथ सफर तब शुरू होता है 
थोरी सी भी खासी आने तो अपना ख्याल रखा 
करो गुस्से में बोली जाने वाली नसीहत हो
और जब कदम लड़खड़ा रहे हो 
तब आपके साथ मंदिर जाने का एक 
बहाना हो और बुढ़ापे में भी कुछ
वक्त आपके साथ पुराने लम्हों की तरह बिताना हो

©Pooja Priya 
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