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//Almost a love story// हिंदी मे एक कहानी ले के आ

//Almost a love story//

हिंदी मे एक कहानी ले के आपके सामने हाज़िर हु। 
अनुशीर्शक् मे कहानी ज़रूर पढ़े 🙏🙏— % & तारीख याद है मुझे आज भी 17.02.2000
कुछ दिनों से मेरी तबियत नरम चल रही थी। पेट दर्द, दस्त, और उल्टियां हो रही थी। ज़ाहिर सी बात है की काफी कमज़ोरी आ गयी थी अब जिसे ठीक होने मे थोड़ा समय लगेगा। 
डॉक्टर ने बताया था की रक्तचाप सामान्य स्तर से नीचे गिरने की वजह से हुआ ये सब। आज जा के थोड़ी तबियत ठीक लगी तो बाहर निकला थोड़ी शैर करने को। 
पास वाली पार्क मे पहुँचा मै और सोचा की थोड़ी देर टहल लेता हु। 

उन दिनों मै बारहवीं कक्षा मे था और बोर्ड की परीक्षा कुछ ही हफ़्तो मे शुरू होनी थी। हालांकि स्कूल अभी बंद था क्युकी हमारे स्कूल मे बोर्ड की परीक्षा के पहले, जब सारी पढाई स्कूल की तरफ से खतम हो जाए तब एक महीने छुट्टी दे दी जाती है। इसमे हम घर बैठ के ही परीक्षा की आखिरी तैयारी करते थे। फिक्र इस बात की थी की तबियत और कमज़ोरी तब तक पूरी तरह ठीक हो जाए। 

मै पार्क के दो चक्कर लगा के ही काफी थकान महसूस करने लगा और एक बेंच पर आ के बियाथा गया। थोड़ी देर बाद अपनी तीन दिन पहले की बेवकूफ़ी सोच कर मुझे खुद पे गुस्सा आने लगा। ऐसा किया ही क्यु मैंने? क्या हासिल किया? और अब अगर परीक्षा शुरू होते तक जो तबियत पूरी ठीक न हुई, तो कौन होगा इसका जिम्मेदार?
//Almost a love story//

हिंदी मे एक कहानी ले के आपके सामने हाज़िर हु। 
अनुशीर्शक् मे कहानी ज़रूर पढ़े 🙏🙏— % & तारीख याद है मुझे आज भी 17.02.2000
कुछ दिनों से मेरी तबियत नरम चल रही थी। पेट दर्द, दस्त, और उल्टियां हो रही थी। ज़ाहिर सी बात है की काफी कमज़ोरी आ गयी थी अब जिसे ठीक होने मे थोड़ा समय लगेगा। 
डॉक्टर ने बताया था की रक्तचाप सामान्य स्तर से नीचे गिरने की वजह से हुआ ये सब। आज जा के थोड़ी तबियत ठीक लगी तो बाहर निकला थोड़ी शैर करने को। 
पास वाली पार्क मे पहुँचा मै और सोचा की थोड़ी देर टहल लेता हु। 

उन दिनों मै बारहवीं कक्षा मे था और बोर्ड की परीक्षा कुछ ही हफ़्तो मे शुरू होनी थी। हालांकि स्कूल अभी बंद था क्युकी हमारे स्कूल मे बोर्ड की परीक्षा के पहले, जब सारी पढाई स्कूल की तरफ से खतम हो जाए तब एक महीने छुट्टी दे दी जाती है। इसमे हम घर बैठ के ही परीक्षा की आखिरी तैयारी करते थे। फिक्र इस बात की थी की तबियत और कमज़ोरी तब तक पूरी तरह ठीक हो जाए। 

मै पार्क के दो चक्कर लगा के ही काफी थकान महसूस करने लगा और एक बेंच पर आ के बियाथा गया। थोड़ी देर बाद अपनी तीन दिन पहले की बेवकूफ़ी सोच कर मुझे खुद पे गुस्सा आने लगा। ऐसा किया ही क्यु मैंने? क्या हासिल किया? और अब अगर परीक्षा शुरू होते तक जो तबियत पूरी ठीक न हुई, तो कौन होगा इसका जिम्मेदार?

तारीख याद है मुझे आज भी 17.02.2000 कुछ दिनों से मेरी तबियत नरम चल रही थी। पेट दर्द, दस्त, और उल्टियां हो रही थी। ज़ाहिर सी बात है की काफी कमज़ोरी आ गयी थी अब जिसे ठीक होने मे थोड़ा समय लगेगा। डॉक्टर ने बताया था की रक्तचाप सामान्य स्तर से नीचे गिरने की वजह से हुआ ये सब। आज जा के थोड़ी तबियत ठीक लगी तो बाहर निकला थोड़ी शैर करने को। पास वाली पार्क मे पहुँचा मै और सोचा की थोड़ी देर टहल लेता हु। उन दिनों मै बारहवीं कक्षा मे था और बोर्ड की परीक्षा कुछ ही हफ़्तो मे शुरू होनी थी। हालांकि स्कूल अभी बंद था क्युकी हमारे स्कूल मे बोर्ड की परीक्षा के पहले, जब सारी पढाई स्कूल की तरफ से खतम हो जाए तब एक महीने छुट्टी दे दी जाती है। इसमे हम घर बैठ के ही परीक्षा की आखिरी तैयारी करते थे। फिक्र इस बात की थी की तबियत और कमज़ोरी तब तक पूरी तरह ठीक हो जाए। मै पार्क के दो चक्कर लगा के ही काफी थकान महसूस करने लगा और एक बेंच पर आ के बियाथा गया। थोड़ी देर बाद अपनी तीन दिन पहले की बेवकूफ़ी सोच कर मुझे खुद पे गुस्सा आने लगा। ऐसा किया ही क्यु मैंने? क्या हासिल किया? और अब अगर परीक्षा शुरू होते तक जो तबियत पूरी ठीक न हुई, तो कौन होगा इसका जिम्मेदार? #yqtales #yqhindi #aestheticthoughts #mai_bekhabar #atpaidtask #collabwithmb #valentineswithat