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Poonam Suyal

मैं क्यूँ ना उड़ूँ आख़िर कब तक छलती रहेगी ज़िंदगी मुझे, कब तक आख़िर मैं रोकूँ ख़ुद को ऊपर है विस्तार नीलगगन का, वहाँ तक पहुँचना है मुझको नहीं हूँ मैं निर्भर किसी पर,

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मैं क्यूँ ना उड़ूँ 

आख़िर कब तक छलती रहेगी ज़िंदगी मुझे,
कब तक आख़िर मैं रोकूँ ख़ुद को 
ऊपर है विस्तार नीलगगन का,
वहाँ तक पहुँचना है मुझको 

(अनुशीर्षक में पढ़ें) मैं क्यूँ ना उड़ूँ 

आख़िर कब तक छलती रहेगी ज़िंदगी मुझे,
कब तक आख़िर मैं रोकूँ ख़ुद को 
ऊपर है विस्तार नीलगगन का,
वहाँ तक पहुँचना है मुझको 

नहीं हूँ मैं निर्भर किसी पर,

Poonam Suyal

मैं कोई चाबी का छल्ला नहीं मैं कोई चाबी का छल्ला नहीं, जिसे करो इस्तेमाल तुम और फ़िर फेंक दो मैं हूँ इक जीता जागता इंसान, मेरी भावनाओं को तुम कुछ तो अहमियत दो तुम्हारे दिल की चाबी को,

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मैं कोई चाबी का छल्ला नहीं 

(अनुशीर्षक में पढ़ें) मैं कोई चाबी का छल्ला नहीं

मैं कोई चाबी का छल्ला नहीं,
जिसे करो इस्तेमाल तुम और फ़िर फेंक दो 
मैं हूँ इक जीता जागता इंसान,
मेरी भावनाओं को तुम कुछ तो अहमियत दो 

तुम्हारे दिल की चाबी को,

Poonam Suyal

ज़िंदगी शतरंज सी ज़िंदगी रही हमारी शतरंज के खेल की तरह चाहे पासे सही पड़े या गलत, जीने की ढूंढ ही ली हमने वज़ह हर कोई चलता रहा हमारे संग नित नई चाल अपने आत्मविश्वास को सदा बना कर रखा हमने अपनी ढाल

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ज़िंदगी शतरंज सी 

(अनुशीर्षक में पढ़ें) ज़िंदगी शतरंज सी 

ज़िंदगी रही हमारी शतरंज के खेल की तरह 
चाहे पासे सही पड़े या गलत, जीने की ढूंढ ही ली हमने वज़ह 

हर कोई चलता रहा हमारे संग नित नई चाल 
अपने आत्मविश्वास को सदा बना कर रखा हमने अपनी ढाल

Poonam Suyal

मेरे नेत्र का रंग मेरे नेत्र का रंग है भूरा ना काला ना हल्का, कुछ पूरा, कुछ-कुछ अधूरा मेरी आँखों के रंग में है बेताबी, किसी से मिलने की

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मेरे नेत्र का रंग 

(अनुशीर्षक में पढ़ें) मेरे नेत्र का रंग 

मेरे नेत्र का रंग है भूरा 
ना काला ना हल्का,
कुछ पूरा, कुछ-कुछ अधूरा 

मेरी आँखों के रंग में है बेताबी,
किसी से मिलने की

Poonam Suyal

जो कोई भी इससे संबंधित है उसके लिए 

सरे राह जिसने मुझे छोड़ दिया जीवन की राह पर वो शायद भूल गया है मुझे। ये उस व्यक्ति के लिए है जिसको जी जान से हमने चाहा। अपना पूरा जहां हमने उसको माना I अपनी हर खुशी उस पर न्योछावर कर दी थी हमने।  ख़ुद को भुला दिया हमने उसकी चाहत में। सब से जुदा हो गए हम उसकी ख़ातिर। दुनिया से दुश्मनी मोल ले ली हमने। 

ये सब हम उस शख़्स को याद दिलाने के लिए लिख रहे हैं। हम ये जानना चाहते हैं, क्या सिर्फ़ हमने ही तुमको चाहा था? क्या वो पागलपन, वो जुनून एक तरफ़ा ही था? क्या तुम्हें हमसे कभी प्यार हुआ भी था? कितनी बेदर्दी से तुमने सब कुछ इतनी आसानी से भुला दिया। एक बार भी नहीं सोचा तुमने हमारा नाज़ुक दिल तोड़ने से पहले। 

तुम्हारे साथ चलते-चलते हम तो ख़ुद तक पहुँचने का रास्ता भी भूल गए। तुम संग इतने मशगूल हुए हम कि अपना पता ठिकाना भी याद नहीं अब हमको। खैर, अब जब तुम हमको भुला ही बैठे हो, हम भी तुमको याद नहीं करेंगे।  ख़ुद की राह हम ढूँढ ही लेंगे। तुम्हारे सहारे और साथ की हमें कोई ज़रूरत नहीं। तुम्हारे बिना भी हम मंज़िल तक पहुँच ही जाएँगे। 

हम अब भूल गए हैं कि तुम्हारे साथ भी हमारा कोई नाता था।  #atwhomsoever #aestheticthoughts 
#atpaidtask  #picturesthatspeak 
#yqdidi  #yqbaba  #letters 
#yqaestheticthoughts

Poonam Suyal

ख़ामोशी से लिखो ख़ामोशी से लिखो, जो भी दिल तुम्हारा कहता है अपने भीतर के जज़्बातों को, वो कहाँ छुपा सकता है धड़कता है वो जिसके लिए,

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ख़ामोशी से लिखो 

(अनुशीर्षक में पढ़ें)







 ख़ामोशी से लिखो 

ख़ामोशी से लिखो,
जो भी दिल तुम्हारा कहता है 
अपने भीतर के जज़्बातों को,
वो कहाँ छुपा सकता है 

धड़कता है वो जिसके लिए,

Dr Upama Singh

आप नहीं होते तो अपनी गलतियों के लिए माफ़ी हम सब कैसे माँगते आपके सहयोग से हर रिश्तों में मिठास बना रहता नतमस्तक हो जाता इंसान अपनी हर गलतियों पर हर कोई आपके शुक्रिया के द्वारा गलती सुधार लेता प्यार, स्नेह में अभिभूत होकर आपके सहारे करता अपना पश्चताप

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       “चिट्ठी धन्यवाद शुक्रिया के नाम”
        अनुशीर्षक में👇👇

किस तरह धन्यवाद शुक्रिया कहें आपको
पलकों और दिल में आपको बैठा लिया

इतना इज्ज़त और पहचान दिया आपने हमको
बिखरे शब्दों से आपके लिए आज़ आभार लिख दिया

     आप नहीं होते तो अपनी गलतियों के लिए
माफ़ी हम सब कैसे माँगते 
आपके सहयोग से हर रिश्तों में मिठास बना रहता 

नतमस्तक हो जाता इंसान अपनी हर गलतियों पर
हर कोई आपके शुक्रिया के द्वारा गलती सुधार लेता

प्यार, स्नेह में अभिभूत होकर आपके सहारे करता अपना पश्चताप

Dr Upama Singh

बाबा घर में शांति कब और कैसे लाऊंँ?

अरे! बालक इसमें कौन सी बड़ी बात है, रात में पीछे के दरवाज़े से

अच्छा बाबा आप ये तो बताइए, शांति को पटाऊंँ कैसे

अब ये भी मैं ही बताऊंँ, अभी single हो क्या?

नहीं बाबा, 4 भाई बहन भी हैं

बाबा बेहोश होते होते बचे, अबे गधे मैं भाई बहन नहीं,
गर्लफ्रेंड ओलफ्रेंड है कि सीधे, शांतिए को घर में लाओगे

वैसे शांति है कौन


आपकी बेटी

बाबा फिर बेहोश #atdialogue
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Dr Upama Singh

जहांँ प्यार और क़िस्मत दे देते धोखा कब आपको कोई दे दे यहांँ धोखा शह मात में कमज़ोर अक्सर पीस जाता प्यादा ही चौसठ खाने में शहीद पहले हो जाता जीवन में लंबा दौड़ ढाई खाने चलने वाले घोड़ा सरपट दौड़े अपनी दुल्लत्ती देखकर सबको चकित कर दे

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ज़िंदगी एक शतरंज
अनुशीर्षक में://👇👇

ज़िंदगी शतरंज का एक खेल
शह मात का ज़िंदगी में कोई नहीं मेल 

ज़िंदगी के शतरंज में हर कोई मोहरा
खा जाते धोखा जिसने रखा दोहरा चेहरा    

 जहांँ प्यार और क़िस्मत दे देते धोखा
कब आपको कोई दे दे यहांँ धोखा

शह मात में कमज़ोर अक्सर पीस जाता
प्यादा ही चौसठ खाने में शहीद पहले हो जाता

जीवन में लंबा दौड़ ढाई खाने चलने वाले घोड़ा सरपट दौड़े
अपनी दुल्लत्ती देखकर सबको चकित कर दे

Dr Upama Singh

अपनी सी लगती झुकी पलकें कितनों के ख़ामोश अरमान दिल में जगाई है। होश खो बैठते लोग देख मेरी निगाहों को बहुतों ने इसमें डूबना चाही है। दिल जीत लेती हैं मेरी आँखें ऐसा हुनर वो रखती हैं। देखते ही मेरी इन आँखों को दिल फिसल उनका कर मुस्कुराने की वजह बताई है। मेरी इन काली आँखों में शर्म–ओ–हया का परदा है। देख तुझे मेरी नज़रे पलकें झुकाया करता है।

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                “मेरे आँखों का रंग”
अनुशीर्षक में;//👇👇👇
मेरे नेत्र (आँख) का रंग काला लेकिन बहुत ही ख़ूबसूरत प्यारी आँखें हैं। 
झील सी शीतल और समंदर जैसा गहराई इसमें समाई है।    

 अपनी सी लगती झुकी पलकें कितनों के ख़ामोश अरमान दिल में जगाई है।
होश खो बैठते लोग देख मेरी निगाहों को बहुतों ने इसमें डूबना चाही है।

दिल जीत लेती हैं मेरी आँखें ऐसा हुनर वो रखती हैं।
देखते ही मेरी इन आँखों को दिल फिसल उनका कर मुस्कुराने की वजह बताई है। 

मेरी इन काली आँखों में शर्म–ओ–हया का परदा है।
देख तुझे मेरी नज़रे पलकें झुकाया करता है।
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