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बड़े मुद्दत पे मेरा प्यार मुझसे मिलने को आया है,


बड़े मुद्दत पे मेरा प्यार मुझसे मिलने को आया है, 
कि बरसों बाद मेरा यार संभलने को आया है।। 

 मुसाफिर वो बड़ा मगरूर, था तन्हाई का आलम,
जमाने बाद यह किस्सा हमारा मुस्कुराया है।। 

कहां तुम थे कहां मैं थी न पूछो क्या शरारे थे, 
जमाने का सितमगर फिर से मुझको याद आया है।।

मिली थी बेवफाई मुझको तेरे ही मुकद्दर से, 
नहीं मालूम तुझको हमने गम अपनों से पाया है।।

चलो अच्छा हुआ भुला सुबह का शाम तो आया, 
जो नजरों से कभी ओझल था वो अब पास आया है।। 

                                   -पूनम सिंह

©Poonam Singh
  बड़े मुद्दत पे मेरा प्यार...... 

#gazal
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Poonam Singh

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बड़े मुद्दत पे मेरा प्यार...... #gazal #शायरी

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