अनंत जीवन सागर में, मैं खुद का एक कोना बनाना चाहता हूँ, मौत को बना के बिछौना अपना , मैं मृत्यु को जगाना चाहता हूँ! होती है तकलीफें हज़ार, दर्द बे-निज़ात, और परेशानी बेहिसाब, बनाकर इंसानियत का आशियाना, मैं सबको हँसाना चाहता हूँ! किसी को गिरा के आगे बढ़ना बहुत आसान है, सब जानते है, मेहनत को बना के लक्ष्य अपना, मैं सबको आगे बढ़ाना चाहता हूँ! जो बीत गया, वो भूत हुआ, नये कल के स्वागत में हिचकते है क्यों, गुजरी यादों को बना कर स्तंभ, मैं सबको मार्ग दिखाना चाहता हूँ! इस कलाम की प्रेरणा और स्त्रोत Dost MD Bhuradia है उनके लिखे एक she'r को इसमे मैंने इस्तेमाल किया है उनकी रज़ामंदी के साथ. Thanks for your encouragement dost. #Kumaarsthought #kumaarsher #कुमारग़ज़ल