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मेरे दोस्त ये मुर्दों का शहर है , कोई नहीं समझेग

 मेरे दोस्त
 ये मुर्दों का शहर है , कोई नहीं समझेगा तुझे , 
चाहे कोई रोटी को तरसे या किसीका चिराग बुझे , 
आते तो बहुत हैं यहां हमदर्द बनके ताकि उनके काम सूझे , 
हम भी आये थे कमाने चार पैसे यहां , 
लेकिन चलती फिरती लाशो के बाजार मिले मुझे

©Alfaaj 
   #लाशों के बाजार #sad_feeling #brockenheart #Loneliness  Yogesh@@@ Amiya Bhattacharjee SwaTripathi  Ravi Govind Dubey