मन की परतों को खोला जाए जो दिल में हो वो बोला जाए आस्तीन में छिपे हुए सब सांपों को टटोला जाए मन की परतों... विष को विष में घोला जाए मारा फिर एक संपोला जाए किसने डसा प्रेम में तुमको फेंका झूठा चोला जाए मन की परतों... इस टोले से उस टोला जाए घर में घर से हथगोला जाए जहां न तीर, कमान चले न आग लगाने शोला जाए मन की परतों... नफ़रत का जब झोला जाए मारा सबसे भोला जाए जब बिगड़ रहे हालात घरों के खुल के तब तो बोला जाए मन की परतों... ©अनुज मन की परतों को खोला जाए जो दिल में हो वो बोला जाए आस्तीन में छिपे हुए सब सांपों को टटोला जाए मन की परतों... विष को विष में घोला जाए मारा फिर एक संपोला जाए किसने डसा प्रेम में तुमको