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ये जो आँखों में छटपटाहट , चेहरे पे बैचेनी सी और ,


ये जो आँखों में छटपटाहट ,
चेहरे पे बैचेनी सी और ,
जुबान में झल्लाहट नजर आती है ,
लगता है फिर से जीवन में ,
ओढ़ के लिहाफ़ परेशानी का ,
नयी मुसीबत की कोई आहट ,
चुपके से चली आती है।।
कभी देखा है तुमने मुझको ,
आधा हंसते आधा रोते हुए ,
बेवजह यूँही फैलाये हाथ अपने,
परेशान सा सब कुछ खोते हुए,
इंसान जब भी हंसते हंसते रोता है,
ख्वाब कोई नींद में ही खोता है ,
होंगे और जिन को मिली मंज़िल ,
दुआओं और खिदमत गारी से ,
अपना तो मुस्तकबिल ही मुआ ,
हाथ मुसीबतों से ही धोता है ।।

©Dinesh Paliwal
  #aafat