विषय:-इज़्ज़त के खातिर --------------------------- सुनो ज़नाब एक किस्सा कहानी एक पिता की बेदर्द ज़ुबानी, कोड़ी कोड़ी जोड़ कन्यादान का पिता ने भी स्वप्न सजाया था, बड़े ही नाज़ो से पाल आज वो अपनी करनी पर इतराया था, वक़्त भी बड़ा नाचीज़ है,वो कली आज फूल बन खिल गई थी, देखो आज पिता की आँखे नम और वक्त विदाई का आया था, स्वप्न मात्र इतना बिटिया की विदाई शान ओ शौकत से की जाए, वो सारी खुशियाँ दे दूँ कि जीवन मे कभी उनकी कमी न सताये, पर लेनदारों को बिटिया के साथ भर भर नोटों की गढ़ी चाहिये, अब वो बेबस लाचार पिता कैसे उन लेनदारों की जेबें भर पाये? कैस पिता बेबस लाचार हुआ , ज़नाब ये जमाना बड़ा शातिर है, बेटी को नाज़ो से पालता वो पिता कभी कोई कमी न रह जाये, इस बात को रख संज्ञान में वो पिता सब कुछ करता न्यौछावर, अपनी नही अपनी बेटी के आगामी जीवन की इज्ज़त के खातिर। विषय:-इज्ज़त के खातिर रमज़ान प्रतियोगिता #kkइज़्ज़तकीख़ातिर #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #रमजान_कोराकागज #kkr2021