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" वो चहकती कली किन फूलो में थी पली। "किन फिजा से म

" वो चहकती कली किन फूलो में थी पली।
"किन फिजा से महकती हुआ, सुगन्ध आता था, थी  कौन  सी वो गली।।
"खोजने लगा मेरा दिल उस सुगंधित एहसासों को, किन पेड़ों  की सांखो में थी वो ढली।
"जी करने लगा लगालू ,अपने बागवान  में उस फुल की एक कली।।
"वह चहकती कली किंन फूलों में थी पली।
"मेरे रोम रोम में, उसके सुगंध से मच जाती थी अक्सर खलबली।।
"वह चाहती कली जिन फूलों में थी पली

©Abhishek tripathi#chgr@c #chgr#@:c:
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" वो चहकती कली किन फूलो में थी पली।
"किन फिजा से महकती हुआ, सुगन्ध आता था, थी  कौन  सी वो गली।।
"खोजने लगा मेरा दिल उस सुगंधित एहसासों को, किन पेड़ों  की सांखो में थी वो ढली।
"जी करने लगा लगालू ,अपने बागवान  में उस फुल की एक कली।।
"वह चहकती कली किंन फूलों में थी पली।
"मेरे रोम रोम में, उसके सुगंध से मच जाती थी अक्सर खलबली।।
"वह चाहती कली जिन फूलों में थी पली

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