कसमें वफ़ा की जब खायी जाती तब कंठ भी नाम माँ गंगा क

कसमें वफ़ा की जब खायी जाती
तब कंठ भी नाम माँ गंगा का लेता है
पूछो शहीद फौजियों से कभी
मरकर भी वो तिरँगा ओढ़ कर सोता है

गज़ब का जुनून 
वतन की इस माटी में रहता है
हमारा "तिरँगा" कुछ तो कहता है...

©कृतान्त अनन्त नीरज...
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