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(चित्त परिचित शिव) आदि हैं अनन्त हैं शिव, एकाग्र,

(चित्त परिचित शिव)

आदि हैं अनन्त हैं शिव,
एकाग्र,ध्यान,बैराग हैं।
चित्त परिचित हैं शिव मेरे।
मेरी भक्ति के अनुराग हैं।

©ऋतुराज पपनै "क्षितिज"
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