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ऋतुराज पपनै "क्षितिज"
डोर थाम के इश्क की तेरे,मैं बन जाऊँ राझा। रुह जोड़ के उड़ें गगन हम,तू पतंग मैं माझा।। ©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" #deeplove #ऋतुराज_पपनै
ऋतुराज पपनै "क्षितिज"
White 🙏 महाशिवरात्रि 🙏 नर,वानर,पशु,जीव-जलचर। खग,वायु,पयोध,नभचर यक्ष, गंधर्व, नाग, किन्नर। असुर,दानव,पिशाच,दशकंधर। अरुण, अग्नि,मरुत, पुरंदर। चन्द्र,सूर्य, नक्षत्र औ अम्बर। शिवमय हुए हैं पर्वत-कंकर। व्योम के उस शीर्ष पटल पर। सृष्टि के इस धरती मंडल पर। शक्ति शिव में समाहित हो रही। अध्यात्म की ऊर्जा प्रवाहित हो रही। प्रकृति-पुरुष का मिलन ये, योग,ध्यान का दर्शन ये। महाकाल के कालचक्र का ऊर्जावान क्षण ये। शिव भक्तों को हर्षाती है। बैराग मन में जगाती है। स्निग्ध होती अंतर्रात्मा महाशिवरात्रि जब आती है। ©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" #Shiva #महाशिवरात्रि #ऋतुराज_पपनै
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🙏 महाशिवरात्रि 🙏 नर,वानर,पशु,जीव-जलचर। खग,वायु,पयोध,नभचर यक्ष, गंधर्व, नाग, किन्नर। असुर,दानव,पिशाच,दशकंधर। अरुण, अग्नि,मरुत, पुरंदर। चन्द्र,सूर्य, नक्षत्र औ अम्बर। शिवमय हुए हैं पर्वत-कंकर। व्योम के उस शीर्ष पटल पर। सृष्टि के इस धरती मंडल पर। शक्ति शिव में समाहित हो रही। अध्यात्म की ऊर्जा प्रवाहित हो रही। प्रकृति-पुरुष का मिलन ये, योग,ध्यान का दर्शन ये। महाकाल के कालचक्र का ऊर्जावान क्षण ये। शिव भक्तों को हर्षाती है। बैराग मन में जगाती है। स्निग्ध होती अंतर्रात्मा महाशिवरात्रि जब आती है। ©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" #Shiva #महाशिवरात्रि #ऋतुराज_पपनै
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🙏 महाशिवरात्रि 🙏 नर,वानर,पशु,जीव-जलचर। खग,वायु,पयोध,नभचर यक्ष, गंधर्व, नाग, किन्नर। असुर,दानव,पिशाच,दशकंधर। अरुण, अग्नि,मरुत, पुरंदर। चन्द्र,सूर्य, नक्षत्र औ अम्बर। शिवमय हुए हैं पर्वत-कंकर। व्योम के उस शीर्ष पटल पर। सृष्टि के इस धरती मंडल पर। शक्ति शिव में समाहित हो रही। अध्यात्म की ऊर्जा प्रवाहित हो रही। प्रकृति-पुरुष का मिलन ये, योग,ध्यान का दर्शन ये। महाकाल के कालचक्र का ऊर्जावान क्षण ये। शिव भक्तों को हर्षाती है। बैराग मन में जगाती है। स्निग्ध होती अंतर्रात्मा महाशिवरात्रि जब आती है। ©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" #महाशिवरात्रि #ऋतुराज_पपनै
ऋतुराज पपनै "क्षितिज"
खग ही जाने "क्षितिज" का सार। उड़-उड़ नभ में पंख पसार।। ©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" #क्षितिज #ऋतुराज_पपनै
ऋतुराज पपनै "क्षितिज"
White ✍️छोटी चिड़िया इक छोटी सी चिड़िया काली। मेरे घर आती मतवाली। फूलों का रस पीती है जिन संग उसकी प्रीती है। उस चिड़िया के सर पर लाली मेरे घर आती मतवाली। उस चिड़िया की चोंच बड़ी फूल चूसती घड़ी घड़ी। चीं चीं चूं चूं गाती है कीट-पतंगे खाती है। जैसे फोटो खींचना चाहूँ फुर्र से उड़ जाती है। ©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" #छोटी_चिड़िया #ऋतुराज_पपनै
ऋतुराज पपनै "क्षितिज"
सीधे से एक साँचे को खंजर बना दिया। दुनिया ने बेरुखी का कैसा मंजर बना दिया। काँटों की चुभन लेकर बस जिये जा रहा हूँ। गुलशन को फ़खत फूलों से बंजर बना दिया। ©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" #selfhate #खंजर_बंजर_मंजर #ऋतुराज_पपनै
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White ✍️"एक नयी यात्ना" यात्नाओं की राहों में, सफ़र करते करते। यात्नाओं में ज़िन्दगी की बसर करते-करते। हर मोड़ यात्नाओं की। ये होड़ यात्नाओं की। पर्वत यात्नाओं के जंगल यात्नाओं के। सागर यात्नाओं के दलदल यात्नाओं के। रुदन यात्नाओं का, ये स्वर यात्नाओं के। बंजर यात्नाओं के, निर्झर यात्नाओं के। दूर किसी बस्ती में इक बोर्ड पर लिखा था "एक नयी यात्रा" चेहरे पर मुस्कान लिए चश्मा पहन के देखा तो उस पर भी लिखा था "➡️एक नयी यात्ना"। (*यात्ना= पीड़ा/दर्द) ©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" #एक_नयी_यात्ना #Rituraj_Papnai #ऋतुराज_पपनै
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White अपनी राहों के अकेले हफसफर हैं। यूँ ही नहीं हम सबसे बेखबर हैं। पैसे के बाजारों में,कौन पराया अपना कौन? लाशें भी यहाँ बिक जाएं,हो जाएं जब मुर्दे मौन। ©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" #sad_quotes #Rituraj_Papnai #ऋतुराज_पपनै
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सूर्यास्त हुआ इच्छाओं का आकांक्षाओं और आशाओं का। भावनाओं में विरक्ति आत्मा है परखती। देह जल रहा विकारों से मन जल रहा विचारों से। अन्तर्मन में द्वंद्व संजोये। मेघ क्षीर के अश्रु पिरोये। तन में क्यों अनुराग ज्येष्ठ? मन में फिर बैराग श्रेष्ठ। मोह-माया का भीषण छल भौतिकता का कोलाहल। उन सब में इक आग है श्रेष्ठ जलती चिता की राख है श्रेष्ठ। ©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" #SunSet #ऋतुराज_पपनै