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ग़ज़ल :- पिता की बात जब भी तू समझना सीख जायेगा । कठि

ग़ज़ल :-
पिता की बात जब भी तू समझना सीख जायेगा ।
कठिन से भी कठिन राहे तू चलना सीख जायेगा ।।
बनाओ नेक को साथी बुराई त्यागकर सारी ।
नहीं भाई तुम्हारा भी बिगड़ना सीख जायेगा ।।
अदाओ का हमें अपनी दिखाओ आज तुम जादू ।
सुना है इक इशारे पे वो हँसना सीख जायेगा ।।
सँवर कर और अब ऐसे नहीं निकला करो बाहर ।
दीवाना देखकर तुमको मचलना सीख जायेगा ।।
मिलेगी जब उसे ठोकर यहाँ हालात से जिसदिन ।
यकीं मानो उसी दिन से वो चलना सीख जायेगा ।।
अभी नादान है देखो नहीं घर की फिकर कोई ।
पडेगा बोझ जब घर का सँभलना सीख जायेगा ।।
चुनावी दौर है आया प्रखर मुमकिन नहीं कुछ भी ।
कहानी आज वो झूठी भी गढ़ना सीख जायेगा ।।
२२/०३/२०२४      -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-


पिता की बात जब भी तू समझना सीख जायेगा ।

कठिन से भी कठिन राहे तू चलना सीख जायेगा ।।
ग़ज़ल :-
पिता की बात जब भी तू समझना सीख जायेगा ।
कठिन से भी कठिन राहे तू चलना सीख जायेगा ।।
बनाओ नेक को साथी बुराई त्यागकर सारी ।
नहीं भाई तुम्हारा भी बिगड़ना सीख जायेगा ।।
अदाओ का हमें अपनी दिखाओ आज तुम जादू ।
सुना है इक इशारे पे वो हँसना सीख जायेगा ।।
सँवर कर और अब ऐसे नहीं निकला करो बाहर ।
दीवाना देखकर तुमको मचलना सीख जायेगा ।।
मिलेगी जब उसे ठोकर यहाँ हालात से जिसदिन ।
यकीं मानो उसी दिन से वो चलना सीख जायेगा ।।
अभी नादान है देखो नहीं घर की फिकर कोई ।
पडेगा बोझ जब घर का सँभलना सीख जायेगा ।।
चुनावी दौर है आया प्रखर मुमकिन नहीं कुछ भी ।
कहानी आज वो झूठी भी गढ़ना सीख जायेगा ।।
२२/०३/२०२४      -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-


पिता की बात जब भी तू समझना सीख जायेगा ।

कठिन से भी कठिन राहे तू चलना सीख जायेगा ।।

ग़ज़ल :- पिता की बात जब भी तू समझना सीख जायेगा । कठिन से भी कठिन राहे तू चलना सीख जायेगा ।। #शायरी