ज़ब से उठी है दीवार उस पुशतेनी घर के बीचो बींच हर रोज़ भाइयो मे टकराव बढ़ते जा रहे है देरानी जेठानी ज़ो रहा करती थी एक ही घर मे बहनो की तरह उनमे भी सन्तानो की वजह से मनमुटाव बड़ते जा रहे है हमने हमेधा उनकी राह मे फूल बिछाये थे आज वही हमारी राह मे कांटे बिछाते जा रहे है परम्पराये और रूदिया अब अपना गौरव खोने लगी है और अब तो गीता और कुरान भी कटघरे मे नजर आ रहे है ©Parasram Arora टकराव... #friends