Nojoto: Largest Storytelling Platform

गम–ऐ–बारिश में खुद को भिगोते जा रहे हैं आब–ऐ–बारिश

गम–ऐ–बारिश में खुद को भिगोते जा रहे हैं
आब–ऐ–बारिश में आंसू को छिपाते जा रहे है
गैरों से नहीं,हम तो अपनो की नजरो से बचते हुए
बदहोशी की हालत में अनजान राहों पे बढ़ते जा रहे है

©tahmeena khatoon
  #barish #बरसात #उर्दू #urdu #nozoto #Poetry #hindinozoto #Anshuwriter #