Nojoto: Largest Storytelling Platform

न लोगों को समझ पाया , न लोगों ने मुझे समझा, खता उन

न लोगों को समझ पाया , न लोगों ने मुझे समझा,
खता उनकी या मेरी है, यही तो मैं नहीं समझा।

बदलना रंग मुझको तो ,है लोगों सा नहीं आता,
अपनी खुदगर्जी की खातिर ,दगा देना नहीं आता।

वजह शायद यही होगी, जो नाकाबिल मुझे समझा।
न लोगों को समझ पाया, न लोगों ने मुझे समझा।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
  # न लोगों ने मुझे समझा...।

# न लोगों ने मुझे समझा...। #शायरी

248 Views